डेस्क :
केंद्र सरकार की अग्निपथ स्कीम के खिलाफ जारी विरोध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को तीनों सेना के प्रमुख के साथ बैठक की। इसके बाद योजना की विस्तृत जानकारी देने के लिए तीनों सेना के प्रमुखों ने प्रेस कान्फ्रेंस की। प्रेस कांफ्रेंस में तीन बाते स्पष्ट कर दी गई। डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि ये योजना वापस नहीं ली जाएगी। दूसरा ये कि अग्निपथ योजना के विरोध में हिंसा में शामिल लोगों को भर्ती में कोई जगह नहीं मिलेगी। तीसरा ये कि योजना में युवाओं की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए जो भी बदलाव किए गए हैं, वो किसी भी दबाव या प्रर्दशन के तहत नहीं किये गए हैं, बल्कि ये प्रस्तावित थे।
उम्मीदवारों को शपथ देनी होगी
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि अनुशासन भारतीय सेना की नींव है। भर्ती में आया प्रत्येक व्यक्ति एक प्रमाण पत्र देगा कि वे विरोध या बर्बरता का हिस्सा नहीं था। यदि उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज की गई है, तो वे शामिल नहीं हो सकते। अभ्यर्थी से नामांकन फॉर्म के हिस्से के रूप में यह लिखने के लिए कहा जाएगा कि वे आगजनी का हिस्सा नहीं थे, फिर उनका पुलिस सत्यापन किया जाएगा। हमने इस योजना को लेकर हाल में हुई हिंसा का अनुमान नहीं लगाया था। सशस्त्र बलों में अनुशासनहीनता के लिए कोई जगह नहीं है।
जीवन कुर्बान करने वाले अग्निवीर को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा
सेना प्रमुखों ने प्रेस वार्ता देश करते हुए कहा कि देश की सेवा में अपना जीवन कुर्बान करने वाले अग्निवीर को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा। उनके लिए अलग से किसी बैरक या ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्था नहीं की जा रही है। अग्निवीर भी नियमित सैनिकों के बराबर की सुविधाएं पाएंगे।