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सेक्स वर्कर : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब वेश्यावृति को भी मिलेगा पेशा का दर्जा 

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डेस्कः
आसनसोल स्थित नियामतपुर के चबका और दिशा यौनपल्ली इलाके मे यौनकर्मीयों ने देर रात जमकर खुशियां मनाई है । लोग परेशान थे कि आखिर यौनकर्मियों मिठाइयां क्यों बांट रहे हैं।  हर कोई सोंच मे था की आखिरकार यौनकर्मी महिलायें इतनी खुश क्यों हैं।  मीडिया के कैमरों से हमेशा खुदको दूर रखने वाली यौनकर्मी महिलायें पहली बार मीडिया के कैमरों के सामने आई और अपनी ख़ुशी जाहिर की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। दरअसल वेश्यावृति को अब कानूनी तौर पर मंजूरी मिल गई है। शीर्ष कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सेक्स वर्कर भी कानून के समक्ष सम्मान व बराबरी के हकदार हैं। 


मजबूरी में करती हैं काम 
ने कहा कि वो अपनो का पेट पालने के लिये इस बदनाम गलियों में काफी मज़बूरी से आई हैं और बहुत ही मुश्किल से वह अपने छाती पर पत्थर रखकर दो पैसे का रोजगार करती हैं, उसमें भी पुलिस की गस्ती इस हुस्न के बाजार में लगातार होती है। पुलिस बेवजह उनके ग्राहकों को उठा ले जाती है, उनको भी काफी परेशान करती है, उनसे हमेशा अभद्रता से पेश आती है, वह डर से ना तो किसी से कुछ बोल पाती हैं और ना ही कुछ कह पाती हैं। चुप-चाप ख़ामोशी से अपने कार्य मे लग जाती हैं। उनमे से कई उम्रदराज यौनकर्मीयों को अपना पेट चलाने के लिये राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर जाना पड़ता है। वहाँ पर भी उनको पुलिस के साथ-साथ कुछ स्थानीय युवकों के कहर का सामना करना पड़ता है। वह युवक इन महिलाओं के साथ जोर जबरदस्ती तो करते ही हैं, उनके कमाए हुए पैसों में से भी अपना हिस्सा मांगते हैं।

 सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत 
इन महिलाओं का दुख सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गये फैसलों के साथ खुशियों में बदल गया है। उनकी जिंदगी में अब यह आशा की किरण जग गई है की अब उनको कोई परेशान नहीं करेगा। अब उनको भी सम्मान के नजर से देखा जायेगा। उनके ऊपर अत्याचार करने वालों व उनके साथ अभद्रता के साथ पेश आने वालों के खिलाफ कानूनी करवाई होगी। जिसको लेकर उन्होंने अपने तहे दिल से सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद भी जताया
 

वेश्यालय चलाना गैर कानूनी, वेश्यावृत्ति नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि स्वैच्छिक वेश्यावृत्ति अवैध नहीं है। केवल वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत दर्ज कराने वाली सेक्स वर्करों के साथ पुलिस भेदभाव न करे। यदि उसके खिलाफ किया गया अपराध यौन प्रकृति का हो तो तत्काल चिकित्सा और कानूनी मदद समेत हर सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्करों के प्रति पुलिस का रवैया अक्सर क्रूर और हिंसक होता है। ये ऐसे वर्ग के होते हैं, जिनके अधिकारों को मान्यता नहीं है, इसलिए उनके मामलों में संवदेनशील रवैया अपनाने की जरूरत है।