द फॉलोअप डेस्क
रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं। अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने कहा है कि उनका बेटे रवींद्र जडेजा से कोई रिश्ता नहीं है। वो अकेले जामनगर में रहते हैं, जडेजा अलग रहता है। रीवाबा और रवींद्र की शादी के 2-3 महीने बाद से ही परिवार में विवाद शुरू हो गया। शादी के तीन महीने बाद ही रीवाबा कहने लगीं कि सब कुछ मेरा होना चाहिए, मेरे नाम पर होना चाहिए। उन्होंने परिवार को परेशान करना शुरू कर दिया। वे परिवार नहीं चाहतीं, अकेले आजादी से रहना चाहती थीं।
रवींद्र को क्रिकेटर बनाने के लिए बहुत मेहनत की
जडेजा के पिता ने कहा कि अगर रवि को किक्रेटर न बनाया होता तो सही रहता। 'हमने रवींद्र को क्रिकेटर बनाने के लिए बहुत मेहनत की। मैंने चौकीदारी का काम किया। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मुझसे ज्यादा नयनाबा ने मेहनत की।' नयानाबा ने रवि को मां की तरह पाला है। उसकी पत्नी और उससे हम हमारा कोई रिश्ता नहीं है। न वो हमें बुलाते न हम उन्हें बुलाते हैं। उसकी पत्नी अकेले रहना चाहती है। मान सकता हूं कि मैं बुरा हूं, रवींद्र की बहन नयनाबा भी खराब है, लेकिन परिवार में 50 लोग हैं, क्या सब बुरे हैं। ये बस उनकी नफरत है।'
5 साल से पोती का चेहरा नहीं देखा
अनिरुद्ध सिंह जडेजा कहते हैं, 'मैं कुछ भी नहीं छिपा रहा हूं। हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है। 5 साल से मैंने उनकी बेटी का चेहरा भी नहीं देखा है। रीवाबा के माता-पिता, खासतौर से रवींद्र की सास ही सब कुछ संभालती हैं। उनका दखल बहुत ज्यादा है।' रीवाबा से हमारा एक होटल को लेकर विवाद हुआ था। बहू चाहती थी कि वह होटल उसके नाम पर कर दिया जाए। फिर रवींद्र ने नयनाबा को फोन किया और होटल रीवाबा के नाम करने के लिए कहा। नयनाबा ने भी सोचा कि रवींद्र सब संभाल लेगा, हमें क्या करना है। उसने कहा, आ जाओ और साइन करा लो।
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