द फॉलोअप डेस्कः
हजारीबाग के इचाक प्रखंड के डाड़ीघाघर पंचायत के पुरनपनियां गांव से जो तस्वीर सामने आयी, वह आपके दिल को झकझोर देगी। ऐसी तस्वीरों को देखकर समझ ही नहीं आता है कि हम 21वीं सदी के मॉर्डन जमाने में रह रहे हैं या फिर पाषाण युग में। दरअसल इस गांव की एक महिला को शुक्रवार को अचानक प्रसव पीड़ा होने लगा। उसे अस्पताल ले जाने के लिए वाहन की कोई व्यवस्था नहीं हो सकी क्योंकि इस गांव में आवागमन के लिए कच्ची सड़क तक नहीं है। गांव तक एंबुलेंस आने की सुविधा ही नहीं है। इसलिए वह पैदल ही चिलचिलाती धूप में गांव की कुछ महिलाओं और पुरुषों के साथ निकल पड़ी। प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला 4 किमी पैदल चली, तब जाकर उसे एक एंबुलेंस मिला। जिसके बाद वह अस्पताल पहुंची। गनीमत रही कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ है। इस गांव में विकास की रोशनी अब तक नहीं पहुंची है। यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। गांव में पक्की होना तो जैसे इन गांव वालों के लिए ख्वाब सा हो गया है। गांव में न बिजली है, न पानी है और ना ही सड़क। गांव वाले कहते हैं कि कोई अगर रात में बीमार हो जाता है तो वह रात भगवान भरोसे ही कटती है। एक तरफ जहां हर जनप्रतिनिधि मंच पर चढ़कर अपनी उपलब्धियां गिनवा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ ऐसी तस्वीर काफी परेशान करने वाली है। 4 किमी पैदल चली तब जाकर तिलैया-पुरनपुनिया चौक पर सहिया ने एंबुलेंस बुलाया, जिससे महिला को अस्पताल जा पाई।
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