रांची
हाईकोर्ट में आज लोहार जाति के लोगों को एसटी की श्रेणी से बाहर करने के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई हुई। दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य औऱ केंद्र सरकार को मामले में विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए डेढ महीने का समय दिया है। बता दें कि मामले की सुनवाई जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने की। लोहार जाति को एसटी से बाहर रखने के निर्णय को खतियानी लोहार/लोहरा जनजाति समाज के अध्यक्ष अतीत कुमार ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया है।
क्या कहा गया है याचिका में
याचिका में ये दावा किया गया है कि लोहार जाति संविधान के प्रारंभ से ही जनजातीय प्रकृति वाली रही है। लेकिन झारखंड गठन के बाद ही बिना कोई उचित कारण बताये इसे एसटी की आऱक्षण सूची से बाहर कर दिया गया। कहा गया है कि सिर्फ लोहरा जाति को एसटी की श्रेणी में लिस्टेड किया गया है। दलील दी गयी है कि लोहरा मात्र एक पर्यायवाची और क्षेत्रीय बोलचाल की भाषा का शब्द है। अहम बात ये भी है कि लोहरा के नाम से किसी खतियान का रिकार्ड भी नहीं है।
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