रांची:
रांची के मेन रोड में 10 जून को हुई हिंसा पूरी तरह प्रायोजित बतायी जा रही है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। जो जानकारी है उसकेअनुसार उपद्रव की योजना एक सप्ताह से तैयार की जा रही थी। उपद्रव में शामिल लोग लॉज और होटलों में रुके थे। बाहर से कई लोग आए थे, इसकी जांच के लिए पुलिस तकनीकी साक्ष्य जुटा रही है। रांची पुलिस ने सभी टेलीकॉम कंपनियों से मदद की मांग की है। कंपनियों से जानकारी मांगी गई है कि लोअर बाजार, हिंदपीढ़ी, कोतवाली, चुटिया इलाकों में कौन कौन से मोबाइल नंबर 4 से 10 जून तक एक्टिव थे। एक्टिव नंबरों में कौन कौन से नंबर बाद में दूसरे जगह एक्टिव हैं, इसकी पड़ताल की जा रही है।
आज शाम तक कई साक्ष्य सामने आ सकते हैं
पुलिस को उम्मीद है कि बुधवार की शाम तक पुलिस को ऐसे लोगों की सूची मिल जाएगी। जो रांची दंगों को उकसाने के लिए यहां आए थे। एक आईपीएस अधिकारी ने पुष्टि की है कि उपद्रवी बैग में भरकर पत्थर लाए थे। जैसे ही प्रदर्शनकारी डेली मार्केट स्थित धर्म स्थल के पास पहुंचे, पुलिस और मंदिर पर पथराव शुरू कर दिया। वीडियो फूटेज में स्पष्ट है कि गनी बैग से पत्थर निकालकर उपद्रवी पथराव कर रहे हैं।
जांच के केंद्र बिंदू में पीएफआई
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की पॉलिटिकल विंग सोशल डेमाक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानि एसडीपीआई की भूमिका की जांच हो रही है। प्रदर्शन में कुछ लोग एसडीपीआई का झंडा थामे हुए थे। वहीं फेसबुक पोस्ट के जरिए भी यह बात सामने आयी है कि एसडीपीआई ने कई लोगों को प्रदर्शन के लिए उकसाया था।