द फॉलोअप डेस्क रांची
झारखंड के गुमला के चैनपुर थन क्षेत्र के अंतर्गत मड़ईकोना गांव में जड़-बूटी से टीबी की दवा बनाकर खाने से वैध समेत दो लोगों की मौत हो गई। वहीं टीबी मरीज समेत तीन की हालत गंभीर है। पीड़ितों में एक महिला भी शामिल है। यह घटना शुक्रवार की है। मृतकों में 42 वर्षीय वैध सुधीर तिर्की और 45 वर्षीय बसंत तिर्की है। गंभीर लोगों में मृतक बसंत की पत्नी सुषमा तिर्की, बदल टोप्पो, और 22 वर्षीय सुजीत तिर्की शामिल है। दोनों को पालकोट रोड स्थित साहू नर्सींग होम में भर्ती कराया गया है। दवा खाने वाले बसंत के बेटे शशि की हालत आब खतरे से बाहर है। इधर, पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। बसंत के घर से मिली हुई दवाओं की जांच करने के लिए फोरेंसिक में रांची भेज दिया गया है। तीन डॉक्टरों की मेडिकल टीम ने शनिवार को वैध सुधीर और बसंत के शव का पोस्टमार्टम किया है।
जड़ी- बूटी से करता था इलाज
मृतक बसंत के बेटे का कहना है कि वैध सुधीर तिर्की अपने हाथों से बनाई गयी जड़ी-बूटियों से सबका इलाज करता था। शुक्रवार की शाम टीबी मरीज सुजीत तिर्की वैध के घर पहुंचा। वैध के हाथ टूटे होने की वजह से वो अपने घर में दवाई नहीं तैयार कर पाया, तो उसने बसंत के घर में दवा बनाई। जिसे मरीज, वैध समेत अन्य 6 लोगों ने खाया। दवा खाने के कुछ देर बाद ही सबकी हालत बिगड़ने लग गई। गुमला जिले के चैनपुर प्रखण्ड में हुई इस घटना को लोगों ने अधिक जानकारी न होने का कारण बताया।
सरकारी दवाओं पर नहीं था भरोसा
सुजीत तिर्की गुमला जिले के टीबी कार्यालय में एक चिन्हित मरीज के तौर पर था। जिसका सरकार एक द्वारा निःशुल्क इलाज भी चल रहा था। लेकिन उसे सरकार के निशुल्क चल रहे दवाओं पर भरोसा नहीं था। इसलिए वो किसी के सुझाव पर अपने परिवार वालों के साथ वैध के पास टीबी की जड़ी बूटियों वाली दवाई लेने के लिए पहुंचा।