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प्रशिक्षु B.Ed छात्र-छात्राओं ने JSERT को सुनाई दिक्कत, बोले- बहुत दूर जाना पड़ता है

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द फॉलोअप डेस्क:

बुधवार को झारखंड के अलग-अलग बीएड कॉलेज के प्रशिक्षु छात्र-छात्राएं सैकड़ों की संख्या में राजधानी रांची स्थित जेसीईआरटी कार्यालय पहुंचे। प्रशिक्षुओं की शिकायत है कि 5 माह के अवलोकन और टीचिंग ट्रेनिंग के लिए जेसीईआरटी द्वारा जो स्कूल आवंटित किए गए हैं उनमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रशिक्षुओं ने बताया कि आवंटित स्कूल सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में हैं, जहां आने-जाने का कोई साधन नहीं है। उन्हें इससे भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

मानसिक-आर्थिक बोझ बढ़ाने का लगाया आरोप
प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं ने बताया कि उन्हें जो स्कूल आवंटित किए गए हैं, उनमें से कइयों की दूरी 60 किमी से भी ज्यादा है। प्रतिदिन आवागमन में ही 200-300 रुपये  खर्च हो जाते हैं। कई स्कूल जंगल और घाटी वाले इलाकों में हैं जहां खासतौर पर महिला प्रशिक्षुओं के साथ अनहोनी की आशंका बनी रहती है। इनका कहना था कि जेसीईआरटी के फरमान की वजह से उनपर आर्थिक, मानसिक और शारीरिक बोझ पड़ता है। प्रशिक्षुओं ने कहा कि गंभीर समस्याएं सामने रखने के बावजूद जेसीईआरटी के अधिकारी उनकी नहीं सुनते। वे दिक्कतों से हलकान हैं। 

प्रशिक्षु बीएड छात्र-छात्राओं ने निम्नांकित मांग रखी
२)विद्यालय का आवंटन ऐसे निर्जन दूरगामी और सुदूरवर्ती इलाकों में किया गया है, जहां पर आवागमन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। वैसे में महिला प्रशिक्षकों को वहां तक पहुंचना एक प्रकार से उनके सुरक्षा के सवालों को भी खड़ा करती है। 

३)अधिकांश छात्रों के पास अपना आवागमन की निजी सुविधा नही है। वे अन्य अलग अलग जिलों से आकर बीएड  की पढ़ाई करते है। वर्तमान में ठंड के मौसम के आने पर इतनी दूर वाहन की उपलब्धता न होने पर विद्यालय का समय पहुंच पाना एक असंभव सी प्रक्रिया प्रतीत होती है। प्रत्येक दिन इतनी लंबी दूरी तय करने के कारण शारीरिक व मानसिक रूप से तनाव की स्थिति उत्पन्न होगी।इसके विपरीत सड़क दुर्घटना व अन्य कई प्रकार के आप आप्रसांगिक घटनाओं के घटित होने की संभावनाएं बढ़ती है।

1)प्रशिक्षण व अवलोकन के लिए विद्यालय का आवंटन अधिकतम 10  किलोमीटर तक की दूरी में किया जाए। 
२)यदि विद्यालय का आवंटन अत्याधिक दूरी किया जाता है तो बीएड प्रशिक्षु  के लिए दैनिक यात्रा भत्ता देने का प्रावधान किया जाए या निशुल्क आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराया जाए। 

३)B.Ed पर शिक्षकों के साथ घटित किसी भी प्रकार की दुर्घटना की जिम्मेवारी किसकी होगी,इसकी जवाबदेही तय हो व किसी अप्रिय घटना होने पर क्षतिपूर्ति का भार ले। 

४)पूर्व मे जिस प्रकार से विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया थी उसमें त्रुटि व कर्मियों को दूर कर विद्यालय आवंटन किया जाए। 

५) विद्यालयो मे यदि शिक्षकों की कमी हो तो इसकी पूर्ति का साधन प्रशिक्षु न हो, बल्कि एक विकल्प मात्र समझा जाए।

६) प्रत्येक विद्यालयो मे प्रशिक्षण हेतु समूह के रूप मे छात्र व् छात्रा दोनों बीएड प्रशिक्षु को भेजा जाए, ताकि आपसी सामंजस्य के साथ गतिविधि को संचालित किया जा सके। 

७)सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार प्राथमिक शिक्षक के लिए बीएड योग्यता नही है, अत: प्रशिक्षुओं को माध्यमिक, उच्च व उच्चतर विद्यालयों मे ही भेजा जाए।