द फॉलोअप डेस्क
झारखंड के जामताड़ा में पश्चिम बंगाल के वीरभूम से आए कारीगर पारंपरिक पटाली गुड़ बना रहे हैं। यह विशेष गुड़ खजूर के रस से बनता है, जिसका स्वाद शहद जैसा होता है। कारीगर दिलीप सूत्रधर और उनकी टीम प्रतिदिन तड़के 3 बजे से काम शुरू करते हैं। धांगुड़ी क्षेत्र में लगभग 160 खजूर के पेड़ों से रस जमा किया जाता है। सूर्योदय से पहले पेड़ों से रस के बर्तन उतारकर नए बर्तन लगाए जाते हैं। एक हांडी में 18-20 घंटों में 3-4 किलो रस जमा होता है। इस रस को भट्टी में सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक पकाया जाता है। इसे लकड़ी के विशेष चम्मच से लगातार चलाया जाता है, इस प्रक्रिया को बांग्ला में 'पटाली' कहते हैं।
हर दिन बनाया जा रहा 50 किलो गुड़
मिली जानकारी के अनुसार, इन कारीगरों द्वारा प्रतिदिन करीब 50 किलो गुड़ बनाया जा रहा है। साधारण गुड़ की कीमत जहां 250-300 रुपए किलो है, तो वहीं लिक्विड गुड़ 100-120 रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है। यह व्यवसाय सितंबर-अक्टूबर से लेकर जनवरी-फरवरी तक चलता है। इस दौरान पेड़ के मालिकों को प्रति पेड़ 2 किलो गुड़ का भुगतान किया जाता है।पटाली गुड़ खाने के फायदे
पटाली गुड़ की विशेष मांग झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में है। कहा जाता है कि यह गुड़ स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत लाभदायक है। इसमें प्रोटीन, आयरन, विटामिन बी1 और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही सर्दी-जुकाम से भी राहत मिलती है और पाचन तंत्र सुदृढ़ होता है। इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा पटाली गुड़ त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है।