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रांची : वीर शहीद शेख भिखारी और टिकैत उमराव सिंह की शहादत दिवस आज, सीएम ने किया नमन

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रांची:
झारखंड के वीर सपूत अमर वीर शहीद शेख भिखारी और टिकैत उमराव सिंह (Sheikh Bhikhari and Tikait Umrao Singh) की आज शहादत दिवस है। इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने उन्हें नमन किया है। सीएम ने ट्वीट कर लिखा कि अंग्रेज शोषण के खिलाफ विद्रोह करने वाले झारखंड की माटी के वीर सपूत अमर वीर शहीद शेख भिखारी और टिकैत उमराव सिंह जी के शहादत पर शत-शत नमन।


कई कार्यक्रमों का आयोजन
बता दें कि शहीद शेख भिखारी के पैतृक गांव खुदया लोटवा में उनके शहादत दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। दूसरी ओर राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।


शेख भिखारी टिकैत थे उमराव सिंह के दीवान 
शेख भिखारी ने संथाल परगना में संथाल विद्रोह के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया जिसके फलस्वरूप वहां क्रांति की गति तीव्र हो गई। इसके अतिरिक्त ठाकुर विश्वनाथ शाही (बड़कागढ़ – हटिया) ने शेख भिखारी को मुक्तिवाहिनी का सक्रिय सदस्य बनाया था। जिसमें ठाकुर विश्वनाथ शाही, पांडेय गणपत राय (भौनरो) जयमंगल पांडेय, नादिर अली खां, टिकैत उमराव सिंह, शेख भिखारी, बृज भूषण सिंह, चमा सिंह, शिव सिंह, रामलाल सिंह, बृज राम सिंह आदि थी। शेख भिखारी टिकैत उमराव सिंह के दीवान थे। 1857 की क्रांति में राजा उमराव सिंह, उनके छोटे भाई घांसी सिंह और उनके दीवान शेख भिखारी ने जिस शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन किया था उनकी अनुगूंज आज भी ओरमांझी और उसके निकटवर्ती इलाकों में सुनाई पड़ती है।


क्रांतिकारियों को अनके प्रकार से सहायता प्रदान की

रांची जिला में डोरंडा की सेना ने 31 जुलाई 1857 ई. को जो विद्रोह किया तह उसका नेतृत्व जमादार माधव सिंह और सूबेदार नादिर अली खां ने किया था जिसका केंद्र चुटूपालू घाटी तथा ओरमांझी था। शेख भिखारी इस संग्राम में सम्मिलित थे। रणकुशल एवं दूरदर्शी शेख भिखारी ने सूबेदार नादिर अली, जमादार माधव सिंह को हर संभव सहयोग का विश्वास दिलाया, अंग्रेज कप्तान ग्राहम तथा तीन अन्य अंग्रेज हजारीबाग भाग गये। दो तोपों को रांची की तरफ मोड़ दिया गया, शेख भिखारी ने सैन्य सामग्रियों को ढोने के अतिरिक्त क्रांतिकारियों को अनके प्रकार से सहायता प्रदान की।