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ग्रामीण विकास विभाग में कुछ ऐसे चल रहा था कमीशन का खेल, धनकुबेर चीफ इंजीनियर से मंत्री तक ऐसे पहुंची ED

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द फॉलोअप डेस्क
टेंडर कमिशन मामले में ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम को बुधवार रात गिरफ्तार किया। 10 हजार कमीशन खोरी से शुरू हुआ मामला मंत्री आलमगीर आलम के गिरफ्तारी तक जा पहुंचा। जांच अभी भी जारी है। धनकुबेर चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम से शुरू हुआ खेल झारखंड सरकार के मंत्री तक जा पहुंची। दरअसल,वीरेंद्र राम से जब ईडी पूछताछ कर रही थी उस वक्त उसने मंत्री आलमगीर का नाम लिया था। इसके बाद करीब एक साल तक जांच करने के बाद 6 मई 2024 को ईडी ने संजीव लाल के नौकर के घर पर छापेमारी की। छापेमारी में भारी मात्रा में पैसे की बरामदगी हुई उस वक्त मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल ने भी स्वीकार किया कि पैसे टेंडर मैनेज करने से जुड़े हुए हैं। यह भी बताया है कि टेंडर कमीशन के नाम पर किन-किन लोगों से रुपए लिए गए।


 महज 3 महीने में 35 करोड़ से अधिक की वसूली- ईडी
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि विभाग ने महज 3 महीने के ठेकों के कमीशन में 35 करोड़ से अधिक की वसूली हुई है। इसके बाद से ही आलमगीर आलम की गिरफ्तारी लगभग तय मानी जा रही थी। ईडी ने अपनी जांच के बाद दावा किया है कि वीरेंद्र राम ने टेंडर में कमीशन के तौर पर मेसर्स लार्डस इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक महेंद्र गोप से साल 2022 के नवंबर महीने से जनवरी 2023 के बीच 4.50 करोड़ का कमीशन लिया। जिसे उन्होंने अपने परिजनों के अलग-अलग बैंक खाते में डलवाया था। 


वीरेंद्र राम ने बेटे के खाते में डलवाए 20 लाख 
महेंद्र गोप ने ईडी को बताया था कि चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के कहने पर ही उनके व्यक्ति को रुपयों की डिलिवरी की गई थी। इन पैसों से दिल्ली के छतरपुर में जमीन की खरीद की गई। वीरेंद्र राम के बेट आर्यन अंकुश के खाते में 20 लाख डालने की बात भी महेंद्र गोप ने स्वीकार की थी। आर्यन अंकुश स्कॉटलैंड में पढ़ाई करता है। चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम घर में एकमात्र कमाने वाला सदस्य है। उसने स्वयं यह बात स्वीकार की थी कि उसने आईटीआर में सारी जानकारी गलत दी थी। खाते में साल 2014-15 व 2018-19 के दौरान 9.30 करोड़ व दिसंबर 22 से जनवरी 2023 के बीच 4.50 करोड़ जमा होना ही, उनके जीवन भर के ज्ञात आय से काफी अधिक है।


6 मई 2024 के ईडी ने आप्त सचिव के नौकर के घर की थी छापेमारी

ईडी ने बीरेंद्र राम द्वारा दिये गये बयान और उसके ठिकानों से मिले दस्तावेज के आधार पर अपनी जांच जारी रखी। बीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के 15 महीने बाद ईडी ने छह मई की सुबह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और निजी सहायक जहांगीर आलम सहित कुछ इंजीनियरों और ठेकेदार के घर पर छापा मारा। ईडी ने सात मई को भी कुछ इंजीनियर और ठेकेदार के ठिकानों पर छापा मारा। आठ मई, 2024 को इडी ने सचिवालय स्थित संजीव लाल के कमरे में छापा मारा। संजीव लाल के कमरे की तलाशी के लिए पहली बार कोई केंद्रीय जांच एजेंसी छापेमारी के लिए सचिवालय में घुसी थी। इस छापेमारी में कुल 37 करोड़ रुपये जब्त किये गये।

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