रांची:
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ मनीष रंजन ने कहा कि राज्य में स्वयं सहायता समूहों सहित ग्राम संगठन को मजबूत करने में क्लस्टर लेवल फेडरेशन की अहम भूमिका होती है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन से महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हो रहा है। महिलाएं रोजगार के अवसर पाकर न सिर्फ आत्मनिर्भर हो रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन कर उभरी हैं। राज्य में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी प्रत्येक महिला की आय में बढ़ोत्तरी हो इस निमित्त आप सभी पदाधिकारीगण मेहनत, पारदर्शिता एवं प्रमाणिकता के साथ अपना काम करें, आगे बढ़ें। वह आज मनरेगा अंतर्गत सीएलएफ को पीआईए के रूप में बेहतर क्रियान्वयन हेतु क्षमतावर्द्धन के लिए आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला में बोल रहे थे।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना जरूरी
डॉ मनीष रंजन ने कहा कि मनरेगा के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुढृढ़ करने के लिए एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की अकुशल मजदूरी हर इच्छुक परिवार को दिये जाने का प्रावधान है। आप इसके लिए जरूरतमंद परिवारों को जागरूक कर पात्र लाभुकों को रोजगार से जोड़ें। व्यक्तिगत लाभ हेतु उचित योजना का चयन तथा महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के साथ ही मनरेगा प्रावधानों के अनुसार एनआरएलएम को कलस्टर लेबल फेलिसिटेशन को भी प्रोग्राम इंप्लीमेंटिंग एजेंसी बनाने की पहल की जाए।
इसे ध्यान में रखते हुए चयनित होने वाले सीएलएफ बागवानी से संबंधित योजनाओं जिसमें बिरसा हरित ग्राम योजना, दीदी बगिया योजना, दीदी बाड़ी योजना एवं अन्य व्यक्तिगत योजनाओं इत्यादि में प्रोग्राम इंप्लीमेंटिग एजेंसी, पीएआइए के रूप में कार्य करे, यह सुनिश्चित करें। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ग्राम, पंचायत, प्रखंड-जिला स्तर पर महिला स्वयं सहायता समूहों के संघों को तैनात कर क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य लें ताकि महिलाओं के लिए अधिक से अधिक रोजगार का सृजन हो सके। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगा तभी झारखंड विकास के पथ पर तेज गति से आगे बढ़ पाएगा।
सशक्तिकरण के लिए आजीविका मिशन है उपाय
सचिव ने कहा कि सशक्तिकरण के लिए आजीविका मिशन नायाब उपाय है। झारखंड की गरीब, निम्न तथा मध्यम वर्गीय माताओं-बहनों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए आजीविका मिशन रामबाण है। आजीविका मिशन से बड़ा कोई ब्राण्ड नहीं हो सकता है। आजीविका मिशन शत-प्रतिशत शुद्धता की गारंटी है। इसके उत्पादों की ब्रांडिंग मिशन मोड में प्रतिबद्धता के साथ की जानी चाहिए। सोशल साइट्स के माध्यम से भी आजीविका मिशन द्वारा उत्पादित वस्तुओं की ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि "मनरेगा अंतर्गत CLF को PIA के रूप में करने तथा बेहतर ढंग से क्रियान्वयन " के तत्वाधान में आयोजित यह कार्यशाला ग्रामीण विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
मनरेगा के तहत योजनाओं का क्रियान्वयन जरूरी
मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि राज्य में मनरेगा के तहत योजनाओं के क्रियान्वयन को और अधिक बेहतर करने के लिए कुछ बदलाव किया जा रहा है और ये बदलाव की शुरुआत आज से हो रही है। कलस्टर लेवल फ़ेडरेशन(सीएलएफ ) को पीआईए के रूप में काम करने के लिए चयनित किया जा रहा है। भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार क्लस्टर लेवल फ़ेडरेशन(सीएलएफ ) मनरेगा के तहत योजनाओं का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन करेगा।
उन्होंने कहा कि मनरेगा ग्रामीण परिवारों की आस है। कोविड के समय जब लोगों के पास रोज़गार नहीं था तब उस समय मनरेगा ने ही लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया और 2020—21 में 11 करोड़ का मानवदिवस सृजित किया गया। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत करीब 44 लाख ग्रामीण परिवारों को जॉब कार्ड उपलब्ध कराया गया है और ये कार्य निरंतर जारी है।
जेएसएलपीएस के सीएलएप पीआईए के रूप में काम होगा
जेएसएलपीएस के सीईओ सूरज कुमार ने कहा कि मनरेगा के तहत योजनाओं के क्रियान्वयन में जेएसएलपीएस के सीएलएफ पीआईए के रूप में कार्य करेगी। क्लस्टर लेवल फ़ेडरेशन(सीएलएफ ) को अपनी जिम्मेवारियों को बेहतर ढंग से निभाना होगा। अब जे एस एल पी एस की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। मनरेगा के तहत संचालित योजनाओं को मॉनिटरिंग करने और लाभुकों तक योजनाओं का लाभ दिलाने में भी अब जेएस एलपीएस की भूमिका अहम होगी।
उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत लोगों को 100 दिन का रोज़गार उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेवारी है। अब मनरेगा के तहत सिर्फ मिट्टी का काम ही नहीं रह गया है बल्कि कई तरह की योजनाओं में भी काम लिया जा रहा है। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यशाला में उपस्थित लोगों को क्लस्टर लेवल फ़ेडरेशन(सीएलएफ के लिए भारत सरकार के गाइडलाइन का गंभीरता से अध्ययन करने की बात कही।
कार्यशाला में ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव राम कुमार सिन्हा, संयुक्त सचिव अरूण सिंह सहित विभिन्न जिलों से आए डीडीसी, पीओ, एसएचजी ग्रुप आदि उपस्थित थे।