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36वां स्थापना दिवस : आजसू के गठन का आइडिया जीप में सफर करते हुए आया था, पढ़िए, दिलचस्प कहानी

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डेस्क: 

आजसू आज अपना 36वां स्थापना दिवस मना रही है। आजसू की स्थापना 22 जून साल 1986 को हुई थी। आजसू की पहचान अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर उग्र आंदोलन करने के लिए रही है। कहा जाता है कि आजसू का मूल स्वरूप दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा के छात्र संगठन के रूप में था। साल 2007 में मौजूदा केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने इसे आजसू पार्टी के नाम से राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत किया। चुनाव आयोग से इसे पॉलिटिकल पार्टी के रूप में स्वीकृति मिली। 

22 जून 1986 को हुआ था आजसू का गठन
आजसू की पहली जिला कमिटी का गठन 22 जून 1986 को किया गया था।  इसके पहले अध्यक्ष सुसेन महतो बने। सचिव गोपाल बनर्जी को नियुक्त किया गया। विद्युत वरण महतो को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया। झारखंड आंदोलनकारी औऱ राज्य के वरिष्ठ नेताओं में शुमार सूर्य सिंह बेसरा ने एक इंटरव्यू में आजसू के गठन का दिलचस्प किस्सा सुनाया था। सूर्य सिंह बेसरा के मुताबिक आजसू के गठन की रूपरेखा एक सफर के दौरान जीप में तय की गई थी। 

21 जून 1986 को रखा गया था आजसू का प्रस्ताव
सूर्य सिंह बेसरा ने बताया था कि 21 जून 1986 को डॉ. पशुपति प्रसाद महतो, झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष निर्मल महतो, केंद्रीय सचिव शैलेंद्र महतो, मोहन कर्मकार और सूर्य सिंह बेसरा जमशेदपुर से ओडिशा स्थित चित्रड़ा जा रहे थे। सफर के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा के छात्र संगठन के नामकरण पर चर्चा हुआ। 3 घंटे तक वार्ता चली। सूर्य सिंह बेसरा ने बताया कि उन्होंने संगठन का प्रारूप तैयार कर रखा था। उसी को पेश करते हुए सुझाव दिया कि इस छात्र संगठन का नाम आजसू होना चाहिए। 

जीप में यात्रा करते हुए आया था आजसू का खयाल
शैलेंद्र महतो ने झारखंड छात्र मोर्चा नाम का प्रस्ताव रखा। लंबे विचार विमर्श के बाद डॉ. पशुपति प्रसदा महतो और निर्मल महतो ने आजसू नाम को स्वीकृति प्रदान की।  22 जून 1986 को सोनारी स्थित झामुमो कार्यालय में आपात बैठक हुई। बैठक में झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष निर्मल महतो, केंद्रीय सचिव शैलेंद्र महतो, डॉ, पशुपति प्रसाद महतो,आस्तिक महतो जैसे नेताओं की मौजूदगी में आजसू के नामकरण का प्रस्ताव पेश हुआ। कहते हैं कि झारखंड अलग राज्य की मांग को लेकर आजसू कार्यकर्ताओं ने उग्र आंदोलन किया। कई कार्यकर्ता जेल गये। पुलिस की यातना झेली। 

2000 में आजसू के समर्थन से चुनाव लड़े थे सुदेश महतो
साल 2000 में आजसू के वर्तमान केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने सिल्ली विधानसभा सीट से आजसू समर्थित प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। 2007 में सुदेश महतो ने आजसू को एक पॉलिटिकल पार्टी के रूप में पंजीकृत करा लिया। केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने आजसू को पार्टी के रूप में मान्यता दी जिसका चुनाव चिह्न केला है। 

1990 में झामुमो के सिंबल पर चुनाव लड़े थे आजसू नेता
पॉलिटिकल पार्टी के रूप में पंजीकृत किए जाने से पहले आजसू के कार्यकर्ताओं ने साल 1990 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सिंबल पर ही बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था।

हालांकि, आजसू अब खुद के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ती है।  साल 2004 के लोकसभा चुनाव में आजसू ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया लेकिन 2005 के झारखंड विधानसभा चुनाव में लोजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। 2014 का विधानसभा चुनाव आजसू ने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा लेकिन 2019 के चुनाव से पहले आजसू, एनडीए से अलग हो गई।

हालांकि, मांडर उपचुनाव को लेकर दोनों पार्टियां फिर साथ आईं। 

सुदेश महतो की अगुवाई में सकारात्मक राजनीति
सुदेश महतो द्वारा आजसू पार्टी की कमान संभालने के बाद से झारखंड में युवाओं के राजनैतिक विचारों को अच्छा मंच मिला। यही वजह है कि आजसू पार्टी में युवा कार्यकर्ताओं की संख्या सर्वाधिक है। सुदेश महतो ने बतौर आजसू केंद्रीय अध्यक्ष राजनीतिक सुचिता स्थापित की।

उनकी खासियत रही है कि वे राज्य के हर मुद्दे पर बयानबाजी करने से बचते हैं। सुदेश महतो सहित आजसू पार्टी के सभी नेताओं ने इस बात का ध्यान रखा है कि वे किसी भी परिस्थिति में विपक्षी नेताओं पर व्यक्तिगत बयानबाजी नहीं करते और सकारात्मक राजनीति करने की दिशा में ही कार्य करते हैं।

आजसू पार्टी के तकरीबन सभी नेताओं ने इस बात भी खयाल रखा है कि सकारात्मक और मुद्दा आधारित राजनीति ही किया जाये। 

22 जून को पार्टी का 36वां स्थापना दिवस मना रही आजसू
आजसू ने पार्टी का 36वां स्थापना दिवस, पूरे राज्य में संकल्प दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। इसमें आजसू के झारखंड आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जाना है।

राज्य के सभी जिला और प्रखंड मुख्यालयों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। रांची स्थित आजसू कार्यालय में भी स्थापना दिवस समारोह का आयोजन कया गया है।