द फॉलोअप डेस्कः
साहिबगंज के बरहरवा में टोल प्लाजा टेंडर से जुड़े जिस केस में 24 घंटे के अंदर मंत्री आलमगीर आलम को तत्कालीन डीएसपी पीके मिश्रा ने क्लीन चिट दिया था, वही डीएसपी कल आलमगीर आलम को जेल तक पहुंचानें गये थे। ईडी ने जब आलमगीर आलम को कोर्ट में पेश किया उस वक्त रांची पुलिस के वरीय पदाधिकारी के रूप में पीके मिश्रा ही मौजूद थे। पीके मिश्रा ही कोर्ट से मंत्री को होटवार जेल तक पहुंचाने गये। कोर्ट परिसर में भी डीएसपी की मौजूदगी चर्चा का विषय बना रहा।
24 घंटे में मामला सलटा दिया था
आमतौर पर हटिया डीएसपी पीएमएलए कोर्ट में कभी नहीं दिखते थे। हमेशा कोतवाली डीएसपी प्रकाश सोय ही दिखते थे। लेकिन गुरुवार को वह चुनाव संबंधी किसी बैठक में व्यस्त थे। इसलिए हटिया डीएसपी पीके मिश्रा को कोर्ट में तैनात किया गया। गौरतलब है कि साहिबगंज के बरहरवा में टोल प्लाजा का टेंडर लेने वाले शंभू नंदन नामक व्यक्ति ने बरहरवा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम के इशारे पर उनके साथ मारपीट की गयी थी। इसके बाद भी 24 घंटे में मामले का सुपरविजन कर तत्कालीन डीएसपी पीके मिश्रा ने दोनों को बरी कर दिया था।
अनुसंधानकर्ता ने भी स्वीकारा था
दरअसल, ईडी ने बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर को लेकर हुए विवाद से जुड़े केस में अनुसंधानकर्ता सरफुद्दीन खान को पूछताछ के लिए बुलाया था। अनुसंधानकर्ता से केस से जुड़े सारे कागजात की मांग ईडी ने की थी। इस दौरान अनुसंधानकर्ता ने ईडी को बताया कि वरीय अधिकारियों के कहने पर केस में पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को अगले ही दिन क्लीन चिट दे दी गई थी। सरफुद्दीन खान ने ईडी के सामने यह स्वीकार किया था कि डीएसपी प्रमोद मिश्रा के कहने पर ही क्लीन चिट की कार्रवाई की गई थी।