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 स्वास्थ्य बीमा योजना से भड़कता जा रहा है राज्यकर्मियों का असंतोष

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द फॉलोअप डेस्क

झारखंड में राज्यकर्मियों के लिए सरकार ने कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की है। इस योजना में 2633 बीमारियां शामिल की गयी है। सभी बीमारियों के इलाज की राशि भी तय कर दी गयी है। औसतन आयुष्मान योजना से इलाज की राशि पांच फीसदी अधिक है। लेकिन स्वास्थ्य बीमा योजना की विसंगतियों, गड़बड़ियों और अस्पतालों के चयन से लेकर कतिपय प्रक्रिया को लेकर राज्यकर्मी खासे नाराज हैं। खास कर लिस्ट में राज्य और राजधानी के प्रमुख अस्पतालों का नाम नहीं होने से वे और भी खफा हैं। उनका असंतोष भड़क रहा है। वे रिंबर्समेंट सिस्टम को कहीं बेहतर और लाभकारी बता रहे हैं। राज्यकर्मी स्वास्थ्य बीमा योजना की विसंगतियों को लेकर सरकार को अपनी भावना से अवगत कराने की भी योजना बना रहे हैं।

18876 रुपए में ही कराना होगा सिजेरियन डिलेवरी

झारखंड सरकार द्वारा राज्यकर्मियों के लिए अनिवार्य रूप से लागू की गयी स्वास्थ्य बीमा योजना में कुल 2633 बीमारियों की सूची दी गयी है। सभी बीमारियों के इलाज की राशि भी निर्धारित कर दी गयी है। अर्थात तय राशि में ही लिस्टेड हॉस्पीटलों में इलाज कराना है। अगर इलाज कराने में खर्च की वृद्धि होती है तो उसे संबंधित कर्मी या अधिकारी को वहन करना होगा। उदाहरण के रूप में नॉर्मल डिलेवरी के लिए 17440 रुपए और सिजेरियन के लिए 18876 रुपए तय किए गए हैं। इसी तरह नी रिप्लेसमेंट के लिए एक लाख दस हजार रुपए की राशि तय है। इस तरह सैंकड़ों ऐसी बीमारियां है, जिसकी तय राशि पर कोई भी अस्पताल इलाज करने को तैयार नहीं है।

गंभीर बीमारियों के लिए अधिक राशि मिलेगी, लेकिन एसओपी ही तय नहीं

हालांकि गंभीर बीमारियों पर पांच से दस लाख रुपए तक के खर्च का भी प्रावधान किया गया है। 10 लाख रुपए से अधिक के खर्च का वहन झारखंड राज्य आरोग्य सोसाईटी के माध्यम से किए जाने भी प्रावधान है। लेकिन राज्यकर्मियों के अनुसार इसके लिए अब तक एसओपी ही नहीं बनाया गया है। एसओपी के नहीं होने से अधिक राशि के खर्च होने की स्थिति में उसका लाभ राज्यकर्मियों को नहीं मिल रहा है।

रोग और हॉस्पीटल दोनों तय

किस अस्पताल में किस रोग का इलाज होगा, यह भी तय किया गया है। लेकिन व्यवहार में जब उस अस्पताल में इलाज कराने के लिए कर्मी जा रहे हैं तो बताया जा रहा है कि यहां इस बीमारी का इलाज नहीं होता। तथ्य यह भी है कि राज्य और राजधानी के प्रमुख अस्पतालों को सूची से बाहर कर दिया गया है। दूसरी ओर राज्य के 200 अस्पतालों को सूचीवद्ध किया गया है। लेकिन इसमें अधिकतर अस्पताल ऐसे हैं, जहां बेहतर इलाज की व्यवस्था नहीं है। वहां राज्यकर्मी इलाज कराना खतरे से खाली नहीं नहीं मानते।

रिंबर्समेंट को बेहतर बता रहे राज्यकर्मी

राज्यकर्मियों के लिए लागू की गयी स्वास्थ्य बीमा योजना के बाद उन्हें स्वास्थ्य मद में प्रति माह मिलनेवाली पांच सौ रुपए की राशि का भुगतान बंद कर दिया गया है। राज्यकर्मियों से प्रति वर्ष प्राप्त होनेवाली छह हजार की राशि में 4850 रुपए बीमा कंपनी को दिए जाने और 1150 रुपए आरोग्य सोसाइटी को दिए जाने का प्रावधान किया गया है। राज्यकर्मियों का कहना है कि पूर्व में रिंबर्समेंट सिस्टम ही कहीं ज्यादा बेहतर था। इलाज पर खर्च होनेवाली राशि प्रतिपूर्ति के माध्यम से बहुत आसानी से मिल जाती थी। कहीं भी इलाज कराने की सुविधा भी थी।

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