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सचिवालय सहायक व निजी सहायक सेवा के 300 अधिकारियों से होगी 19.75 लाख की वसूली

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द फॉलोअप डेस्क
झारखंड सचिवालय सहायक सेवा व निजी सहायक संवर्ग के प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी से राज्य सरकार 19.75 लाख रुपए की वसूली करेगी। इसके अलावा उनके वेतनमान में कटौती की जाएगी। सरकार के फैसले के बाद वित्त विभाग अत्यधिक भुगतान हुई राशि की कटौती का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जल्द ही इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। सरकार के इस फैसले से सचिवालय सहायक सेवा व निजी सहायक संवर्ग के लगभग 300 अधिकारी-कर्मचारी प्रभावित होंगे। राज्य सरकार ने विकास आयुक्त  अविनाश कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय कमेटी की अनुशंसा के आलोक में पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में वेतनमान में कमी और अत्यधिक राशि के हुए भुगतान की वसूली का फैसला किया था। इसके बाद अब अग्रेत्तर कार्रवाई की जा रही है। उच्चस्तरीय कमेटी ने इंट्री पे के आधार पर 1.1.2006 के बाद नियुक्त कर्मियों के वेतनमान के आधार पर 1.1.2006 के कर्मियों के वेतन निर्धारण को गलत करार दिया था।


उच्चस्तरीय समिति ने 1.1.2006 से पूर्व नियुक्त सचिवालय सहायक व निजी सहायक संवर्ग के वेतन निर्धारण को अनियमित करार दिया था। साथ ही राज्य सरकार द्वारा निर्गत 2019 के संकल्प को निरस्त करते हुए पुनः वेतन निर्धारण एवं 2006 से भुगतान की गयी राशि की वसूली का निर्णय लिया था। इस फैसले से सचिवालय सहायक सेवा के अलावा हाईकोर्ट में कार्यरत कर्मी भी प्रभावित होंगे। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा समय समय पर निर्गत आदेश के आलोक से राज्य सरकार के फैसले को सचिवालय सेवा के अधिकारी व कर्मचारी न्याय संगत नहीं बता रहे हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए विभिन्न न्याय निर्णयों में भी कहा गया है कि यदि प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए वेतन निर्धारण की कार्रवाई की जाती है तो उसे बिना स्पष्टीकरण और युक्ति युक्त अवसर प्रदान किए बिना लिया गया निर्णय अविवेक पूर्ण होगा। 
इस तरह वेतन में हुई थी बढोत्तरी
1.1.2006 से सचिवालय सहायक एवं निजी सहायकों का ग्रेड पे 4200 से  बढ़ा कर 4600 कर दिया गया था। इसी के साथ साथ 1.1.2006 से 6500-1050 के वेतनमान को बढ़ा कर 7450-11500 कर दिया गया था। इसको लेकर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में भारी आक्रोश था। अब इस फैसले से सचिवालय सेवा के अधिकारियों में आक्रोश बढ़ रहा है।
वसूली मुश्किल होगी, साथ ही इनकम टैक्स का लफड़ा भी लगेगा
जिन अधिकारियों को वेतन मद में ज्यादा की राशि का भुगतान किया गया है, उन अधिकारियों द्वारा इनकम टैक्स का भी भुगतान किया गया है। इस तरह 19.75 लाख रुपए का मामला नहीं बनता है। इतना ही नहीं लगभग 19 वर्ष तक वेतन मद में अधिक राशि का हुए भुगतान की वसूली भी आसान नहीं बतायी जा रही है।

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