पटना
विद्यार्थी विकास परिषद, पटना महानगर के द्वारा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, बिहार प्रांत के प्रथम संगठन मंत्री रविंद्र केसरी शिक्षक सम्मान समारोह एएन कॉलेज, पटना के सत्येंद्र नारायण सिन्हा सभागार में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय एवं मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के द्वारा प्रा केसरी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुई। कार्यक्रम में सभी प्राध्यापकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अभाविप के प्रान्त संगठन मंत्री रौशन सिंह, विभाग संयोजक रोशन शर्मा, महानगर अध्यक्ष मुकेश झा, महानगर संगठन मंत्री प्रशांत गौतम, महानगर मंत्री प्रियरंजन सिंह सहित हजारों कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन महानगर उपाध्यक्ष डा बैकुंठ रॉय ने किया।
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि केसरी के अंदर बाल्य-काल से ही देश सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वे कर्मठ एवं कुशल प्रशासक थे। जब बिहार प्रदेश में उन दिनों अभाविप के गिने-चुने कार्यकर्ता हुआ करते थे, उस विषम परिस्थितियों में भी कठिन परिश्रम और लगन से संगठन को खड़ा करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने समाज को जोड़ने में अभाविप के राष्ट्रीय योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने सभी छात्रों से अपील की कि वे राष्ट्रवादी छात्र संगठन अभाविप से जुड़े और देश को पुनः विभाजित करने की मंशा रखने वाले छद्म भेषियों से सतर्क रहने का आगाह किया।
युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कहानी उन्हीं की लिखी जाएगी, जो अपनी जवानी देश के लिए कुर्बान करेंगे। उन्होंने कहा कि छात्र शक्ति से ही राष्ट्र शक्ति संभव है, तभी जाकर भारत विकसित एवं विश्वगुरु बनेगा। उन्होंने कहा कि आज के भारत में क्रांति लाल सलाम से नहीं, अपितु छात्रों के अंदर वैज्ञानिक ललक से उत्पन्न होगी। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए कहा कि राष्ट्र चेतना के प्रजवल्लन में विवेकानंद का अहम योगदान रहा है। स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था, और आज के भारत में भी नरेंद्र नाम का प्रधानमंत्री भारत एवं भारतीयता का बीजारोपण कर रहा है। समाज में शिक्षकों के योगदान को उन्होंने नमन किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का दायित्व है कि वो ज्यादा से ज्यादा छात्रों में गुणवत्ता की बीज बोएं और छात्रों का दायित्व है कि वे अधिक से अधिक अपने शिक्षकों से ग्रहण करें।