द फॉलोअप डेस्क
खादी केवल वस्त्र या एक उत्पाद नहीं है बल्कि एक विचार है, जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दिया है। ये बातें रांची के मोरहाबादी में 8 जनवरी रविवार को राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव के समापन समारोह में राज्यपाल रमेश बैस ने कही है। इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि देश की आज़ादी के आंदोलन में खादी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खादी के माध्यम से देश के लोगों को आत्मनिर्भर बनने पर बल दिया था। उन्होंने गांवों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी के प्रचार-प्रसार पर बहुत जोर दिया। उनका मानना था कि खादी तथा ग्राम उद्योग को अपनाने से लोगों के सामाजिक स्तर में भी सुधार आ सकता है। पूज्य बापू ने इन पर सिर्फ उपदेश ही नहीं दिया, बल्कि इसे स्वयं आत्मसात भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि महोत्सव में खादी आधारित बापू के सिद्धांत एवं उद्देश्य के अनुरूप स्वरोजगार एवं स्वावलंबन तथा ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण झलकती है। राज्यपाल ने कहा कि यह महोत्सव देशभर के बुनकरों, कारीगरों एवं हस्तशिल्पियों के उत्पाद को मंच प्रदान करता है। इस महोत्सव से उनकी एक विशिष्ट पहचान बनी है। दरअसल, झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं ग्रामीण विकास विभाग, झारखंड द्वारा आयोजित राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव मोरहाबादी में आयोजित की गई है।
राज्यपाल ने महोत्सव को लेकर जताई खुशी
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं ग्रामीण विकास विभाग, झारखंड सरकार के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव के समापन समारोह के अवसर पर आकर बहुत प्रसन्नता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव के प्रति प्रदेशवासियों में बहुत उत्साह एवं आकर्षण रहता है। लेकिन, कोरोना महामारी की विभीषिका के कारण विगत 2 वर्षों तक इस महोत्सव का आयोजन नहीं किया जा सका।
हेल्थ चेकअप कैंप की सराहना
इस महोत्सव में खादी एवं ग्रामोद्योग से जुड़े कई शिल्पकारों एवं कारीगरों द्वारा उत्साहपूर्वक स्टॉल के साथ-साथ विभिन्न सेवाओं के स्टॉल भी लगाये गए। खुशी है कि महोत्सव में देश के कोने-कोने से आए हुए विविध विधाओं के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाट्य प्रस्तुत किए गए। आम लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हेल्थ चेकअप कैंप का आयोजन निश्चय ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि खादी ने भारत के ग्राम आधारित रोजगार और स्वदेशी की भारतीय कल्पना को नया आयाम दिया है। खादी कारीगरों को सतत रोजगार उपलब्ध कराने में विश्वास रखती है।
संग्रहालय महात्मा गांधी के विचार को दर्शाता है
इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि यह कहते हुए मुझे बहुत खुशी है कि राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के हर पहलुओं को समेटे उनकी तस्वीरों के माध्यम से उनके जीवन पर आधारित गांधी संग्रहालय बनाया गया है। यह संग्रहालय महात्मा गांधी के विचार और उनका खादी के प्रति लगाव को दिखाता है। महोत्सव में खादी आधारित बापू के सिद्धांत एवं उद्देश्य के अनुरूप स्वरोजगार एवं स्वावलंबन तथा ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण झलकती है। यह महोत्सव देशभर के बुनकरों, कारीगरों एवं हस्तशिल्पियों के उत्पाद को मंच प्रदान करता है। इस महोत्सव से उनकी एक विशिष्ट पहचान बनी है।
खादी सिर्फ वस्त्र नहीं, परिश्रम और स्वाभिमान का भी प्रतीक
इस दौरान उन्होंने कहा कि इतिहास साक्षी है कि स्वदेशी, स्वराज, सत्याग्रह के साथ चरखे और खादी ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में कितनी अहम भूमिका निभायी है। खादी सिर्फ वस्त्र नहीं, परिश्रम और स्वाभिमान का प्रतीक भी बनी। खादी का एक-एक धागा आजादी के आंदोलन की ताकत बना था, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर आजाद भारत की नींव रखी। आज विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए खादी का एक-एक धागा प्रेरणास्रोत बन सकता है और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सकता है।
बोर्ड को इस दिशा में कार्य करने की जरूरत
इसमें कुटीर उद्योग के जरिए स्वावलंबन व रोजगार खड़ा करने का बड़ा उद्देश्य समाहित है। खादी के जरिये ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अधिक-से-अधिक लोगों को स्वावलंबी बनाया जा सकता है। इसके लिए खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, उद्योग विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग को समन्वय स्थापित कर इस दिशा में कार्य करना होगा।
देश की कुल जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा विकास से वंचित
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि देश की कुल जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा विकास से वंचित रह गया है और आज भी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रहा है। ऐसे लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी करना देश के सामने एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि इस चुनौती का उचित माध्यम महात्मा गांधी का विकास मॉडल ‘खादी और ग्राम उद्योग’ हो सकता है। खाड़ी में करोड़ों लोगों को रोजगार देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि खादी के साथ ग्रामीण उद्योग, हस्तशिल्प एवं आधुनिक तकनीकों के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अपना कर एवं ग्रामीणों को रोजगार सुलभ कराकर उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
फैशन शो में भी दिख रहा खादी के आकर्षक कपड़े
इस मौके पर उन्होंने कहा कि खादी आज गांवों में रहनेवाले बहुत से लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है। इसे बाजार की मांग के अनुरूप अपना उत्पाद तैयार करना होगा। खादी कपड़े के प्रति लोगों के नजरिये में आज बदलाव देखने को मिल रहा है। अब फैशन शो आदि में भी खादी के आकर्षक कपड़े देखने को मिलते हैं। हमारे युवाओं में भी खादी के प्रति आकर्षण बढ़ा है तथा वे खादी के वस्त्रों का उपयोग कर रहे हैं। देशभर के हस्तशिल्प कारीगरों की खुशहाली इसी बात पर निर्भर है कि हम खादी एवं ग्रामोद्योग को ज्यादा से ज्यादा अपनाएं।
महोत्सव के सफल आयोजन के लिए दी बधाई
राज्यपाल ने कहा कि मैं झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड से कहूंगा कि वे लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए खादी का और व्यापक प्रचार-प्रसार करें। खादी के रोजगार से बेरोजगारों एवं गरीबों को जोड़ने के लिए उन्हें ऋण सुलभ कराने के लिए अपने स्तर से सदैव प्रयासरत रहें। उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण सुलभ कराएं और उनके लिए एक अच्छा बाजार उपलब्ध हो। वहीं, उन्होंने झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं ग्रामीण विकास विभाग, झारखंड सरकार की पूरी टीम को इस महोत्सव के सफल आयोजन के लिए बधाई दी।