द फॉलोअप डेस्कः
प्रभु श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा आज है। रविवार को 114 कलशों के जल से भगवान राम की प्रतिमा को स्नान कराया गया। आज रामलला के मंडप की भी पूजा होगी। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया कि ‘ रविवार को अनुष्ठान में नित्य पूजन के बाद हवन, पारायण प्रातः मध्याधिवास, 114 कलशों के विविध औषधियुक्त जल से मूर्ति स्नान, महापूजा, उत्सव का प्रसाद, परक्रिमा, शैलाधिवास, तत्वन्यास, महान्यासादि, सात्विक पौष्टिक, अघोर व्याहृति जागरण जैसे संपन्न हुए। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के अंतिम चरण में दो अधिवास शेष थे। इसमें भगवान का उत्थापन के बाद नैमित्तिक क्रिया पूर्ण कर अनुष्ठान का क्रम शुरू हुआ। पुनः भगवान का सूखे मेवे और शहद में अधिवास कराया गया। इस अधिवास के बाद नदियों के जल से पुनः अभिषेक कर उनकी शोभायात्रा निकाली गई।
पहली महापूजा की गई
रविवार को ही गर्भगृह में विराजित अचल विग्रह के साथ यज्ञ मंडप में भगवान की पहली महापूजा की गई। इसी क्रम में चतुर्वेदों का पारायण और पुरुष सूक्त एवं श्रीमद् वाल्मीकि रामायण, भुसुंडि रामायण, आनंद रामायण व अध्यात्म रामायण के अलावा श्रीरामचरित मानस का भी पारायण चलता रहा। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारियों और कांची कामकोटि शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती की उपस्थिति व ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्रत्त्टी द्रविड़ के अलावा पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में चल रहे इस अनुष्ठान में गणेशाम्बिका, षोडश मातृका, रामभद्र सहित अन्य देवी- देवताओं और द्वारपालों का पूजन, हवन इत्यादि की प्रक्रिया पूरी की गई।
शनिवार को भगवान राम की चीनी व फलों से पूजा हुई
वहीं शनिवार को राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले वैदिक अनुष्ठानों के पांचवें दिन चीनी और फलों के साथ दैनिक प्रार्थना और हवन किया गया. श्री राम जन्मभूमित तीर्थ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया, “20 जनवरी 2024 को दैनिक पूजा-अर्चना, हवन आदि हुआ. साथ ही चीनी व फलों से अनुष्ठान भी हुआ. मंदिर के प्रांगण में 81 कलश स्थापित कर पूजन किया गया. संध्या पूजा व आरती भी हुई.” इस बीच, 22 जनवरी को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह से दो दिन पहले शनिवार को भव्य अयोध्या मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान राम के बाल-रूप को दर्शाने वाले पोस्टर लगे हुए थे.
शुक्रवार को मंदिर के गर्भगृह में रखी गई मूर्ति
अयोध्या स्थानीय लोगों की भीड़ से गुलजार थी और सोमवार को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ और मंदिर के भव्य उद्घाटन से पहले उत्साह और प्रत्याशा स्पष्ट थी। इससे पहले, शुक्रवार को प्रसिद्ध मैसूरु मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई श्री राम लल्ला की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह के अंदर रखा गया था। घूंघट से ढकी हुई मूर्ति की पहली तस्वीर गुरुवार को गर्भगृह में स्थापना समारोह के दौरान सामने आई थी। शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए, श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा, ‘भगवान की आंखें कपड़े के एक टुकड़े के पीछे छिपी हुई हैं क्योंकि उन्हें ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह से पहले प्रकट नहीं किया जा सकता है.’