द फॉलोअप डेस्कः
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने मानहानि के मामले में दोषी करार दिया गया है। उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई है। 2019 में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी। उसी मामले में कोर्ट ने राहुल गांधी को सजा दी है। हालांकि सजा के तुरंत बाद राहुल गांधी को जमानत भी मिल गई है। उन्हें 15 हज़ार के मुचलके पर जमानत दी गई है। अगर सूरत कोर्ट से जमानत नहीं मिलती तो राहुल गांधी फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकते थे। राहुल गांधी के कथित विवादित बयान के खिलाफ बीजेपी विधायक व गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज करवाई थी। राहुल गांधी ने ये कथित बयान 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में हुई एक जनसभा में दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था, आखिर सभी चोरों के सरनेम में मोदी ही क्यों होते हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो दोषी करार दिए जाने से राहुल गांधी की सदस्यता पर खतरा बन गया है. हालांकि राहुल गांधी ने कोर्ट में कहा कि, 'मेरा इरादा गलत नहीं था। मेरे बयान से किसी को नुकसान नहीं हुआ.' बताते चले कि इस मामले में वे आज तीसरी बार कोर्ट में पेश हुए थे। अदालत ने जब राहुल गांधी से कहा कि इस मामले में आप दोषी करार दिये गये हैं। आपका क्या कहना है। इसपर राहुल गांधी बोले कि वो लोगों के नेता हैं, उन्होंने जो भी कुछ कहा वो लोगों की आवाज थी। उनके बयान से किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ।
पूरे ओबीसी समाज में गुस्सा था
राहुल गांधी को मानहानि केस में कोर्ट से दो साल की सजा के बाद सूरत से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री दर्शना जरदोश ने कहा कि राहुल गांधी के बयान को लेकर सूरत में ही नहीं पूरे गुजरात के ओबीसी समाज में गुस्सा था और वह कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है। राहुल गांधी के एडवोकेट किरीट पानवाला ने बताया कि चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की कोर्ट ने पिछले हफ्ते दोनों पक्षों की दलीलों की अंतिम सुनवाई की और निर्णय सुनाने के लिए 23 मार्च की तारीख तय की थी। राहुल गांधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत केस दर्ज है. इससे पहले अक्टूबर, 2021 में राहुल गांधी अपना बयान दर्ज कराने के लिए सूरत कोर्ट में पेश हुए थे।
कानून मंत्री ने किया फैसले का सम्मान
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि राहुल गांधी जो कुछ बोलते हैं उससे नुकसान होता है। वो अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं। लोकतंत्र में हर एक राजनीतिक शख्सियत को अपनी बात कहने का अधिकार है। लेकिन यह तो देखना ही होगा कि बयानों से किस तरह का असर पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि अदालत ने भी माना है कि 2019 में राहुल गांधी ने जो बयान दिया उसे सही नहीं माना। यही नहीं राहुल गांधी को लोकतंत्र की अदालत में माफी मांगना चाहिए।
अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए। कांग्रेस इस पूरे वाक्ये को शहीदी दिवस से जोड़ कर देख रही है। कांग्रेस का कहना है कि उनकी लड़ाई फांसीवाद, बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ है। बता दें कि बीजेपी का कहना है कि जैसी करनी वैसी भरनी। किसी भी शख्स को यह अधिकार नहीं कि वो किसी समाज को बदनाम नहीं कर सकते हैं।
इस मामले को एसे समझिए। कर्नाटक के कोलार में आम चुनाव 2019 में प्रचार के दौरान मोदी सरनेम पर राहुल गांधी ने टिप्पणी की थी। राहुल गांधी ने कहा था कि आखिर सभी चोरों के सरनेम मोदी ही क्यों होते हैं। इसपर बीजेपी ने राहुल गांधी के बयान पर आपत्ति जताई थी। बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने एक खास समाज के लिए अपमानजनक बताया था। उन्होंने सूरत में इस संबंध में केस दर्ज कराया।
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