द फॉलोअप डेस्क:
रहमूल ने 20 साल के बाद अनाज का निवाला खाया है। आप सोच रहे होंगे की बिना अनाज के कोई इंसान 20 साल तक कैसे जिंदा रह सकता है? दरअसल ये कहानी है दुमका के रहने वाले रहमूल की है। रहमूल ने जन्म से अनाज का स्वाद नहीं चखा था। वह जन्मजात बीमारी से पीड़ित था,जिस कारण वह केवल लिक्विड डाइट ले सकता था। रहमूल को टेम्पोरोमेंडीबुलर जॉइंट ऐंकलोसिस (जन्म से मुंह का नहीं खुलना) नामक एक गंभीर बीमारी थी। अपनी बीमारी के कारण रहमूल जन्म के बाद से ही अपना मुंह नही खोल पता था।
सर्जरी में लगे पांच घंटे
रहमूल को टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट डिसऑर्डर (टीएमडी) है। यह एक ऐसी बिमारी है जिसमें इंसान का जबड़ा जम जाता है। जिस कारण रहमूल पिछले 20 वर्षों से तरल आहार पर जी रहा था। शनिवार को रांची के हेल्थ प्वाइंट अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम ने रहमुल के जमे हुए जबड़े को उसकी खोपड़ी के दोनों तरफ से अलग कर निकाला। करीब 5 घंटे की जटिल ऑपरेशन में दोनों तरफ की खोपड़ी की हड्डी से निचला जबड़ा अलग किया गया। इसके बाद मरीज के चेहरे को ठीक किया गया। हालांकि, अब मरीज स्वस्थ है। वह अब ठोस खाना खाने में सक्षम है और बहुत जटिल सर्जरी के बाद ठीक हो रहा है। सर्जरी करने वाले डॉक्टरों में से एक डॉ. अनुज कुमार ने कहा मरीज का निचला जबड़ा दोनों तरफ उसकी खोपड़ी की हड्डी से जुड़ा हुआ था। वहीं ऑपरेशन टीम में डॉ. ओपी श्रीवास्तव, राजेश रोशन और अस्पताल के अन्य लोग शामिल थे।
अस्पतालों के चक्कर लगाकर परेशान हो चुके थे पिता
रहमूल के पिता ने बताया कि रहमूल को एक गंभीर जन्मजात बीमारी का पता चला था और कई डॉक्टरों के पास जाने पर भी कोई मदद नहीं मिली। सौभाग्य से रांची,के युवा डॉक्टर डॉ. मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. अनुज की एक टीम ने उनका इलाज शुरू किया। डॉ. अनुज ने बताया कि इलाज का कुल खर्च 1,500,00 रुपये था। हालांकि, रहमुल के परिवार और अन्य डॉक्टरों ने मिलकर इलाज की लागत को कवर करने में मदद के लिए 1,500,00 रुपये जुटाए। डॉ. अनुज ने कहा कि बड़े शहरों में इस बीमारी के इलाज का खर्च कहीं ज्यादा महंगा होता।