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डोर टू डोर सर्वे कर आदिम जनजाति परिवारों को जोड़ा जा रहा विकास योजनाओं के साथ

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चतरा 
‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ के तहत चतरा जिले की विभिन्न पंचायतों में शिविर लगाकर आम लोगों की समस्याओं का समाधान किया गया। उन्हें विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित किया गया। इसी पहल के विस्तार में, उपायुक्त रमेश घोलप के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने 28 नवंबर 2024 से जिले के पीवीटीजी (बिरहोर, परहैया, बैगा आदि) परिवारों का डोर-टू-डोर सर्वे शुरू किया, ताकि उन्हें योजनाओं से सीधा जोड़ा जा सके।
सुनवाई से क्रियान्वयन तक—योजनाबद्ध अभियान
अभियान की शुरुआत उपायुक्त, उपविकास आयुक्त और वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में पीवीटीजी बहुल इलाकों के दौरे से हुई। इन दौरों के दौरान अफसरों ने लोगों से सीधा संवाद किया और उनकी समस्याओं व जरूरतों को समझा। इसके आधार पर एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई।
प्रखंड और पंचायत स्तर की टीमों द्वारा प्रत्येक बस्ती में जाकर घर-घर सर्वे किया गया, जिसमें परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, योजनाओं से जुड़ाव और ज़रूरी दस्तावेज़ों से संबंधित जानकारी जुटाई गई। इसके बाद गांवों में लगातार शिविर लगाए गए, जहां पीवीटीजी परिवारों से योजनाओं के लिए आवेदन भरवाए गए और मौके पर ही आवश्यक सहायता प्रदान की गई। इस अभियान की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि किसी भी परिवार को सरकारी कार्यालय नहीं जाना पड़ा—प्रशासन खुद उनके घरों तक पहुंचा।


प्रखंडवार आंकड़े और सामाजिक तस्वीर
अभियान के तहत कुल 74 गांवों में 1653 पीवीटीजी परिवारों की पहचान की गई, जिनकी कुल आबादी 6431 है। इनमें बिरहोर जनजाति की 3152, परहैया की 667 और बैगा समुदाय की 2612 की जनगणना दर्ज की गई। लावालौंग, प्रतापपुर, चतरा, कुंदा और सिमरिया प्रखंडों में सबसे अधिक पीवीटीजी परिवार निवास करते हैं।
जमीनी संवाद और प्रशासनिक निगरानी बनी अभियान की ताकत
उपायुक्त, डीडीसी, एसडीओ और बीडीओ स्तर के अधिकारियों ने खुद गांवों में पहुंचकर संवाद स्थापित किया और समस्याओं का मौके पर समाधान सुनिश्चित कराया।
अब तक की प्रमुख उपलब्धियाँ
अभियान के दौरान अब तक 3883 जाति प्रमाण पत्र, 4009 आवासीय प्रमाण पत्र और 82 प्रथम बार आय प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। 1290 बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनाए गए, जबकि 689 नए आधार कार्ड तैयार किए गए। वन अधिकार पट्टों की बात करें तो अब तक कुल 74 पट्टे स्वीकृत हुए हैं—71 व्यक्तिगत (14.86 एकड़) और 3 सामुदायिक (5.05 एकड़)।
पेंशन योजनाओं से 290 लाभार्थियों को जोड़ा गया है, वहीं 495 नए आवास स्वीकृत किए गए हैं। 449 नए मनरेगा जॉब कार्ड बने हैं और 109 नई योजनाएँ शुरू की गई हैं।
41 स्वयं सहायता समूह गठित किए गए हैं जिनसे 579 महिलाएं जुड़ी हैं। सामुदायिक निवेश कोष के अंतर्गत ₹16,75,000 की वित्तीय सहायता दी गई है।
694 नए बैंक खाते खोले गए हैं और 303 बच्चों का स्कूलों में नामांकन या पुनर्नामांकन कराया गया है, जिनमें से 283 बच्चों को छात्रवृत्ति मिली है।
212 नए राशन कार्ड जारी किए गए हैं जिनसे 402 लाभार्थी जुड़े हैं। सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना से अब तक 33 किशोरियाँ लाभान्वित हुई हैं, जबकि 1194 आयुष्मान भारत कार्ड तैयार किए गए हैं।
इनके अलावा सैकड़ों आवेदन प्रक्रियाधीन हैं और उनके निष्पादन की दिशा में कार्रवाई जारी है।
कस्तूरबा विद्यालयों में 23 बच्चियों का दाखिला
अभियान के दौरान पीवीटीजी परिवारों की 23 बच्चियों को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में दाखिला दिलाया गया है। इनकी शिक्षा से जुड़ी ज़िम्मेदारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सौंपी गई है।
आधारभूत सुविधाओं और आजीविका संवर्धन की दिशा में ठोस पहल
डीएमएफटी मद से पीवीटीजी बहुल गांवों में आधारभूत संरचना के विकास पर ज़ोर दिया जा रहा है। इसमें सड़क, पुलिया, सोलर लाइट, तालाब जुड़ाई, डीप बोरिंग, मॉडल आंगनबाड़ी भवन और चौकी भवन जैसी योजनाएं शामिल हैं।
आजीविका संवर्धन के लिए बकरी, शूकर और बत्तख पालन, बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास, खेल सामग्री, मैदान निर्माण, वॉटर चिलर और ब्रांच डेस्क जैसी योजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिन्हें शीघ्र धरातल पर उतारा जाएगा।

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