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रांची मास्टर प्लान के खिलाफ फिर से लोग हो रहे गोलबंद, 154 गांवों को ये होगा नुकसान

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रांची 
रांची के बेहतर विकास और खूबसूरती के लिए रांची मास्टर प्लान 2037 की रूपरेखा पर सरकार सात साल से काम कर रही है। लेकिन आरंभिक चरण से ही प्लान का विरोध हो रहा है। अब एक बार फिर से 154 गांवों के लोग रांची मास्टर प्लान के विरोध में आंदोलित हो रहे हैं। विभिन्न आदिवासी संगठन भी ग्रामीणों के सहयोग लिए आगे आ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मास्टर प्लान के तहत 154 गांवों की लगभग सवा दो लाख एकड़ भूमि को लैंड यूज में बदलने का षड़यंत्र किया जा रहा है। जिसका विरोध मरते दम तक किया जायेगा। 

आदिवासी अधिकार मंच ने जतायी आपत्ति 

इस बाबत आदिवासी अधिकार मंच भी लोगों के समर्थन में आगे आया है। मंच के अध्यक्ष प्रफुल्ल लिंडा ने सरकार को घेरते हुए कहा कि पूरा रांची जिला पांचवीं अनुसूची में अंकित है। ये सभी गांव सीएनटी एक्ट और पेसा की परिधि में आते हैं। ऐसे में इन गांवों की जमीन की प्रकृति को बदलना कानून सही नहीं है। इन गांवों में भूमि का अधिग्रहण ग्रामसभा और ट्राइबल एडवाइजरी समिति की मंजूरी के बिना नहीं किया जा सकता है। इससे हजारें लोग बेघर और बेरोजगार हो जायेंगे। बहरहाल लोगों में रांची मास्टर प्लान को आक्रोश है और उन्होंने इसे रद्द करने की मांग सरकार से की है। 

लोगों के नक्शे नहीं हो रहे पास 

एक ओऱ मास्टर प्लान का विरोध हो रहा है वहीं दूसरी ओऱ इस प्लान के कारण राजधानी रांची निवासी लगभग 5000 लोगों के जमीन नक्शे को मंजूरी नहीं मिल रही है। जानकारों के मुताबिक इसका कारण मास्टर प्लान की गड़बड़ियां हैं। इस बात की गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि रांची नगर निगम साल 2020 से ही लोगों से प्लान से संबंधित शिकायतों का निबटारा करने की कोशिश में ही लगी हुई है। ये शिकायतें राजधानी वासियों ने रांची नगर निगम में लिखित रूप में जमा किये हैं। कुछ शिकायतों को निगम ने संज्ञान में भी लिया। इसे लेकर भी लोगों में रोष है। जानकारी के मुताबिक हजारों शिकायतों में मात्र 525 रैयत की ही शिकायत निगम के अधिकारियों तक पहुंची। इन रैयतों में 127 रांची नगर निगम के औऱ 397 आरआरडीए क्षेत्र के निवासी हैं। वहीं कई लोगों की शिकायत है कि आवेदन कैसे करना है, इसे वे नहीं समझ पाये। बहरहाल अब एक बार फिर से रांची मास्टर प्लान का मुद्दा गरमाने लगा है।