रांची
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) झारखंड की प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज ने मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के उस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने भाजपा पर अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया है। राफिया ने इस बयान को पूरी तरह तथ्यहीन और भ्रामक बताया, जो समाज में अनावश्यक भय और भ्रम फैलाने की कोशिश करता है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए राफिया ने कहा कि आज कांग्रेस आदिवासी समुदाय के हितों की बात कर रही है, जो हास्यास्पद है। यह वही कांग्रेस है, जिसने देश की एक आदिवासी बेटी द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने का विरोध किया था और उनके प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग भी किया गया था। उन्होंने कहा कि झारखंड में पेसा कानून (PESA Act) अब तक लागू नहीं किया गया है, जिससे आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों से वंचित है। साथ ही कांग्रेस सरना धर्म कोड की बात तो करती है, लेकिन जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी, तब वह इसे लागू करने में विफल रही थी।
राफिया ने यह भी कहा कि आज कांग्रेस उसी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ गठबंधन में है, जिसके नेता कभी झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने का विरोध करते थे और कहा करते थे कि "झारखंड मेरी लाश पर बनेगा।" यहां तक कि रांची के सिरम टोली स्थित सरना स्थल की समस्याओं का समाधान भी कांग्रेस सरकार नहीं कर पाई है।
वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर राफिया ने कांग्रेस से सवाल किया कि क्या 1954, 1995 और 2013 में कांग्रेस द्वारा किए गए वक्फ बोर्ड संशोधन अल्पसंख्यक विरोधी कदम नहीं थे? भाजपा सरकार चाहती है कि वक्फ संपत्ति को भू-माफियाओं और लुटेरों के चंगुल से मुक्त कर गरीब मुसलमानों के हित में इस्तेमाल किया जाए, लेकिन कुछ लोग इसे गलत तरीके से पेश कर रहे हैं और भू-माफियाओं के पक्ष में खड़े हो रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस को गरीब मुसलमानों की चिंता करनी चाहिए।
राफिया ने अंत में कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 25 जुलाई 2002 को एक अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले "मिसाइल मैन" डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को देश का राष्ट्रपति बनाया। जबकि कांग्रेस की सरकार लगभग 60 वर्षों तक रही, लेकिन उसने कभी किसी मुसलमान को इस सर्वोच्च पद तक नहीं पहुँचाया।