द फॉलोअप डेस्क, रांची:
झारखंड हाईकोर्ट ने कथित जमीन घोटाला केस में पिछले 5 महीने से जेल में बंद हेमंत सोरेन को नियमित जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए यह कहा कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि हेमंत सोरेन की मनी लॉन्ड्रिंग केस में कोई संलिप्तता थी। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी के जमानत पर रहते हुए और अपराध करने की संभावना को भी मानने की कोई वजह नहीं है इसलिए उनको जमानत दिया जाता है। गौरतलब है कि हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट ने 50-50 हजार के दो निजी मुचलकों पर जमानत दी है।
सांच को आंच क्या
हेमंत सोरेन के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए हाईकोर्ट की टिप्पणी वाली खबर की कटिंग शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा गया है कि सांच का आंच क्या। तानाशाही हार गई। न्याय की जीत हुई। गौरतलब है कि हेमंत सोरेन को पूरे 148 दिन बाद जमानत मिली है। इससे पहले उन्होंने गिरफ्तारी के दिन यानी 31 जनवरी को ही इसे कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनको पहले हाईकोर्ट जाने को कहा। हाईकोर्ट में सुनवाई में विलंब हुआ। हेमंत सोरेन दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई। हेमंत सोरेन की नियमित जमानत की याचिका भी कई बार खारिज की गई। इस बीच चुनाव के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने भी इसी तर्ज पर याचिका डाली लेकिन वह भी खारिज हो गई। आज आखिरकार हेमंत सोरेन को जमानत मिली।
हाईकोर्ट ने क्या टिप्पणी की
हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की कोर्ट ने कहा कि ईडी ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाई है जो यह साबित करता हो कि बड़गाईं अंचल की 8.86 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का मालिकाना हक है। ईडी के दस्तावेज यह भी स्पष्ट नहीं करते हुए हेमंत सोरेन ने उक्त जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल किया है। हमारे पास कोई वजह नहीं है कि हम उनको मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी मानें। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी दलील दी थी कि ईडी की साक्ष्यों से ये साबित नहीं होता कि उनके मुवक्किल का मालिकाना हक बड़गाईं अंचल की जमीन पर था। यही मान भी लें तो ऐसा था तो यह कहां साबित होता है कि इसका व्यावसायिक इस्तेमाल किया गया है। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला ही नहीं बनता।