द फॉलोअप डेस्कः
हिनू चौक के पास बन रही बिल्डिंग के बगल की दीवार गिरने से दो बच्चों की मौत हो गई। आक्रोशित मजदूरों ने बच्चों के शवों को लेकर लगभग पांच घंटे तक हिनू-डोरंडा मार्ग को जाम रखा। दोनों बच्चों के माता-पिता गुमला से आकर यहां मजदूरी कर रहे थे। ठेकेदार महेश सिंह ने उन्हें काम करने के लिए बुलाया था। मरने वालों में तीन वर्षीय चाहत और पांच वर्षीय अनुज के नाम शामिल हैं। चाहत के माता-पिता के नाम लीलावती देवी व शिवा महली है। अनुज के माता-पिता का नाम सुमन देवी व अजय लोहरा है। जिस निर्माण स्थल पर दोनों बच्चों की मौत हुई है, उसमें लापरवाही सामने आयी है। बच्चे निर्माण स्थल पर खेल रहे थे, लेकिन उन्हें रोकने के लिए साइट पर गार्ड की तैनाती नहीं की गई थी। यहां तक कि पीलर के लिए खोदे गए गड्ढे के पास घेरा भी नहीं लगाया गया था। निर्माण स्थल पर आस्थायी रूप से घेराबंदी तक नहीं की गई थी। जबकि, निर्माण स्थल शुरू करने से पहले अस्थायी घेराबंदी करना जरूरी है। साथ ही गार्ड की तैनाती भी करना अनिवार्य है।
ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप
चाहत के पिता शिवा महली ने बताया कि सुबह नौ बजे काम शुरू करते ही बगल की बिल्डिंग की दीवार गिर गई। बारिश होने के बाद भी दीवार जोड़ने का काम किया जा रहा था। दीवार के नीचे मजदूरों के बच्चे खेल रहे थे। मलबे में एक महिला मजदूर और दो बच्चे दब गए। आनन-फानन बच्चों व महिला को निकाला गया, लेकिन तब तक दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी। एक बच्चे के पिता और दूसरे की मां को गंभीर चोट आई है। मजदूरों ने ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। आक्रोशित मजदूरों ने सड़क जाम कर दी। हटिया विधायक नवीन जायसवाल ने दोषियों पर उचित कार्रवाई व पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग की है। सीटी एसपी ने आपदा कोष से दोनों बच्चों के स्वजन को 50-50 हजार मुआवजा राशि दी। बिल्डर निरंजन मिश्रा व बगल के भवन मालिक संजय गुप्ता ने भी पांच लाख रुपये मुआवा देने की बात कही है।
चीख-चीखकर बच्ची को पुकार रहे थे लाचार पिता
चाहत के पिता शिवा महली चीख-चीखकर अपनी बच्ची को पुकार रहे थे। बेटी आ जाओ खाना खा लो। किसको बुलाएंगे भात खाने बेटी। उठ ना बेटी। एक पिता के इन सवालों का जवाब वहां खड़े किसी व्यक्ति के पास नहीं था। हर कोई बस यही कह रहा था कि ये क्या हो गया। मजदूरी कर के बच्चों का लालन-पालन कर रहे मां-बाप बच्चों का सीने से लगाए बिलखते रहे। चाहत और अनुज का शव लेकर घंटों सड़क पर न्याय मांगते रहे। अनुज की मां सुमन देवी चिरनिंद्रा में सोये अपने घर के चिराग से पूछ रही थी कि बाबू हाथ काहें छोड़ दिया है।