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सूबे में नगर निकाय के चुनाव लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद ही मुमकिन!

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द फॉलोअप 
सूबे में होनेवाला नगर निकाय चुनाव लोकसभा और विधानसभा चुनाव तक टाला जा सकता है। गौरतलब है कि कैबिनेट ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण की सीमा निर्धारित करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की स्वीकृति 26 जून को ही दे दी थी। लेकिन दो महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आयोग का गठन नहीं किया जा सका है। ऐसे में 2023 में निकाय चुनाव होना मुमकिन नहीं लग रहा है। दूसरी ओर, अगले साल लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में निकाय चुनाव लंबा टाला जा सकता है। बता दें कि ओबीसी आयोग के अध्यक्ष का पद न्यायिक पदाधिकारियों के लिए सुरक्षित है। और सरकार को इस पद के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहा है। इसलिए सरकार अब आयोग के गठन के नियम में बदलाव पर भी विचार कर रही है। न्यायिक पदाधिकारी की जगह सामाजिक-राजनीतिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति को भी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। अगर अगले एक-दो महीने में आयोग का गठन हो भी जाता है, तब भी आयोग को ओबीसी का सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक सर्वेक्षण करने में तीन से चार महीने का समय लगेगा ही। फिर सरकार आयोग की अनुशंसा के आधार पर ओबीसी आरक्षण की सीमा तय करते हुए चुनाव कराने पर विचार कर सकती है। 

सूबे के 48 नगर निकायों में होने हैं चुनाव
सूबे के 48 नगर निकायों में चुनाव होने वाले हैं। बता दें कि अप्रैल 2023 में 34 नगर निकायों का कार्यकाल पूरा चुका है। इससे पहले 14 निकायों में मई 2020 से ही चुनाव लंबित है। झारखंड के सभी नगर निकाय फिलहाल जनप्रतिनिधि विहीन हो चुके हैं। अफसरों के माध्यम से ही सारे काम हो रहे हैं। भाजपा का मानना है कि यह सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है। झामुमो का कहना है कि यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह लोकसभा-विधानसभा चुनाव के पहले या बाद में चुनाव कराना चाहती है। दूसरी ओर  कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव मुमकिन है। 

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