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विधायक भूषण बाड़ा खुद मांदर बजा युवाओं को पारंपरिक वाद्य यंत्रों से नाचने-गाने के लिए करते हैं प्रेरित

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अमन मिश्रा,सिमडेगाः
झारखंड में चलना ही नृत्य और बोलना गीत-संगीत है। लेकिन आधुनिकता के इस दौर में गीत, संगीत, वाद्य यंत्रों को बचाने की बातें सिर्फ मंचो तक ही सिमटा हुआ नजर आता है। हालांकि सिमडेगा के युवा कांग्रेस विधायक भूषण बाड़ा न सिर्फ मंच में जोर शोर से संस्कृति को सहेजने को लेकर भाषण दे रहे हैं, बल्कि गांव में जाकर वे खुद मांदर बजाते हुए युवाओं को भी मांदर बजाने, नाचने-गाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इस दौरान विधायक समूह में ग्रामीणों के साथ आदिवासी नाच करते हुए वहां मौजूद अन्य ग्रामीणों को भी अखरा में आकर झूमने को मजबूर कर देते हैं। विधायक के इस पहल से धीरे धीरे ग्रामीणों में भी अब मांदर व नगाड़े की थाप में नाचने की रुचि बढ़ने लगी है। युवाओं एवं ग्रामीणों में बढ़ती यह रुचि बिलुप्त होने के कगार पर पहुंच रहे संस्कृति को बचाने में कारगर साबित हो रही है। 
यूं तो विधायक भूषण बाड़ा लगभग हर दिन क्षेत्र भ्रमण में रहते हैं। साथ ही हर छोटे बड़े सामूहिक एवं व्यक्तिगत कार्यक्रमों में भी शामिल होते हैं। सबसे खास बात यह है कि कार्यक्रम में पहुंचे विधायक भूषण बाड़ा को अगर कहीं मांदर और नगाड़ा दिख जाय तो वे तुरंत गले मे मांदर अथवा नगाड़ा टांग कर बजाने लग जाते हैं।

विधायक के मांदर की थाप सुन वाहन मौजूद ग्रामीण भी अपने पांव को थिरकने से रोक नहीं पाते हैं। इसके बाद न सिर्फ बच्चे, बूढ़े और महिला की भीड़ बल्कि युवाओं की टोली भी झूमने को मजबूर हो जाती है। तब ऐसा लगता है मानों आदिवासी समाज की पुरानी संस्कृति एक बार फिर से आखड़ा मे उतर आया हो। सिमडेगा विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र में यह नजारा लगभग हर दिन कहीं न कहीं दिख ही जाता है। विधायक के इस पहल के बाद समाज के बच्चे और युवा वर्ग भी अपनी संस्कृति और वाद्य यंत्रों को बचाने को लेकर गंभीर दिख रहे हैं।


पिछले एक माह मे 107 गांवों में बजा चुके हैं मांदर
विधायक भूषण बाड़ा की मानें तो पिछले एक माह में वे 107 गांव में मांदर बजा चुके हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक माह में 107 गांव एवं टोला में जेठ जतरा, आदिवासी नाच प्रतियोगिता, धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम, व्यक्तिगत स्तर पर छोटे बड़े स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुआ। 107 स्थानों में सिमडेगा सदर प्रखंड के 23, केरसई के 26, कुरडेग के 21, पाकरटांड़ के 18 और पालकोट के 19 स्थानों शामिल है। जहां उन्होंने मांदर बजाया और नाचा भी।

सिर्फ मंच में बड़ी बड़ी बातें बोल कर चले जाने मात्र से नहीं बचेगी संस्कृति: भूषण बाड़ा

विधायक भूषण बाड़ा ने कहा कि सिर्फ मंच में बड़ी बड़ी बातें बोल कर चले जाने मात्र से हमारी संस्कृति जीवित नहीं रहेगी। इसके लिए हम सभी को खासकर युवाओं को आगे आना होगा। सबको मिलकर पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि जब तक हम स्वयं अखड़ा में नहीं उतरेंगे, मांदर नही बजायेंगे, गाएंगे-नाचेंगे नहीं तो ग्रामीण हमारी बातों कैसे मानेंगे। उन्होंने कहा कि वे कोशिश करते हैं कि हर कार्यक्रम में मांदर बजाया जाय साथ ही समूह में नाचा जाय। ताकि आने वाली पीढ़ी में और युवाओं में झारखंडी गीत, नृत्य और वाद्य के प्रति रुझान बढ़े। साथ ही इससे हमारी पीढ़ी भी रु ब रु हो सके।

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