रांची:
लगभग तय हो चुका है कि झारखंड में शराब का कोरोबार अब सरकारी नियंत्रण में होगा। उत्पाद विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो ने इस संबंध की फाइल पर अपनी सहमति दे दी है। विभाग अब 24 फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को रखेगा। कैबिनेट की मुहर लगते ही झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल लागू हो जायेगा। आपको बता दें कि एक दिन पूर्व ही शराब कारोबारी और बार का संचालन करने वालों ने इसका विरोध किया था। जेएमएम के वरिष्ठ नेता लोबिन हेम्ब्रम ने भी सदन और प्रेस वर्ता में सरकार के इस फैसला का कड़ा विरोध किया है। लेकिन इन विरोधों के बाबजूद हेमंत सरकार इस फसले को लेकर आगे बढ़ रही है।
क्या है नई पॉलिसी
छत्तीसगढ़ की शराब नीति झारखंड सरकार को भी पसंद आई है। झारखंड में भी छत्तीसगढ़ की शराब नीति को लागू किया जाना है। छत्तीसगढ़ की तर्ज पर ही अब झारखंड में भी हो शराब की खरीदी और बिक्री का पूरा नियंत्रण सरकार के पास होगा। छत्तीसगढ़ सरकार पड़ोसी राज्य झारखंड में शराब की बिक्री बढ़ाने में मदद करेगी। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड कंसल्टेंसी अब झारखंड में सेवाएं देगी। बता दें कि छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा ही अंग्रेजी और देशी शराब की बिक्री की जा रही है। नई सरकार आने के बाद शराब बिक्री को लेकर कई नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। कोराना काल में शराब की ऑनलाइन बिक्री भी प्रदेश में शुरू की गई है।
रघुवर सरकार ने भी लिया था फैसला
हेमंत सोरेन की सरकार के पहले रघुवर दास ने भी इस तरह का फैसला लिया था, लेकिन राजस्व बढ़ने की जगह शराब से राज्स्व की कम प्राप्ति होने लगी। इसके बाद रघुवर दास ने अपने फैसले को वापस ले लिया था।
बार एवं रेस्त्रां संचालकों ने किया विरोध
झारखंड बार एवं रेस्त्रां एसोसिएशन का कहना है कि यदि छत्तीसगढ़ मॉडल जारी हो गया तो राज्य के 80% से ज्यादा बार बंद हो जाएंगे। एसोसिएशन के अध्यक्ष रंजन कुमार का कहना है कि एक बार रेस्त्रां खुलता या चलता है तो सैकड़ों लोगों को रोजगार और आमदनी होती है। वो चाहे कर्मचारी हो, दूध वाला हो, पनीर, मटन, चिकन, सब्जी, गैस या रिक्शा या टेंपो वाला, हर कोई कहीं न कहीं जुड़ा है और लाभान्वित होता है। अगर सरकार यह अप्रत्याशित वृद्धि करती है तो आगामी 1 अप्रैल से राज्य के सभी बार खुद बार को बंद कर देंगे।