द फॉलोअप डेस्कः
आज गढ़वा में मंईयां सम्मान यात्रा के दौरान कल्पना सोरेन मंच से लोगों को संबोधित कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने महिलाओं से पूछा कि आप इस मंईयां सम्मान योजना से खुश है या नहीं। महिलाओं का जवाब सुनने के बाद उन्होंने कहा कि झारखंड में मुख्यमंत्री मंईया सम्मान योजना हिट है। जब झारखंड की दीदी बहनों ने इसे हिट कर दिया है तो हमारे विपक्षों को वैसे ही जवाब मिल गया है कि उनकी पिक्चर फ्लॉप है। दीदी बहनों को महीने का हजार रुपया, साल का 12 हजार रुपया देने के लिए मुख्यमंत्री जी को बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं। महिलाओं को किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना होगा। ये क्रांतिकारी सोच है। झारखंड बने इतने साल हो गये लेकिन किसी ने इस तरह की योजना के बारे में सोचा नहीं था। घर कैसे चलाना है ये महिलाओं के अलावा कोई नहीं जानता है। आपको आर्थिक रूप से मजबूत करने का यह प्रयास है ताकि आपको छोटी से छोटी जरूरत के लिए किसी के सामने झुकने की जरूरत ना हो। बेबी देवी जी के अगुवाई में हम मंईयां सम्मान यात्रा में निकले हैं। मैं उनका बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं।
मजदूरों के बारे में केंद्र नहीं सुनती कोई बात
आपने देखा होगा कि 2019 में जब कोरोना आया था तो हमारा जीवन अस्त-वयस्त हो गया था। हमारे मजदूर भाई बाहर में फंसे हुए थे उन्हें किसी ने बस से, ट्रेन से और हवाई जहाज से लाए हैं तो वो हेमंत सोरेन जी हैं। गरीब गुरबा की आवाज बनकर झारखंड मुक्ति मोर्चा आगे बढ़ा है। झारखंड में आप देख रहे हैं कि बहुत सारे नेता केंद्र से आ रहे हैं। उसमें मजदूर भाईयों के लिए बात करने वाला कोई नहीं है। मजदूर भाईयों का रैंकिंग सबसे नीचे आता है। मजदूरों के साथ हमेशा भेदभाव किया गया है। मनरेगा के मजदूरों खासकर महिलाओं से उनके शारीरिक शक्ति के हिसाब से काम नहीं लिया जाता था। हेमंत जी केंद्र से हमेशा यही मांगते थे कि मनरेगा का जितना पैसा है हमलोगों को दिया जाए। लेकिन केंद्र के कान में जूं भी नहीं रेंगती है। जब गरीब, शोषित वंचित की बात आती है तो ये लोग सुनते नहीं है। उसके बाद हेमंत जी ने हमारे राज्य के मनरेगा मजदूरों के लिए पैसा बढ़ाने का काम किया। हेमंत सोरेन जी हर वर्ग को साथ में लेकर चलते हैं। कभी भेदभाव नहीं करते हैं। झारखंड में रोज अलग अलग नेता केंद्र से आ रहे हैं। अलग-अलग राज्य से मुख्यमंत्री आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री आ रहे हैं। मेरा सवाल आपसे बस ये हैं कि जो व्यक्ति दिन रात आपके बारे में सोचता है उसके साथ आप हैं या नहीं।
मंईयां सम्मान को लेकर पीआईएल दाखिल किया गया है
आगे कल्पना सोरेन ने कहा कि ये हजार रुपया की बात नहीं है। पांच महीना हेमंत सोरेन जी का कौन लाकर देगा। जनता को इसबार जवाब देना है। बहुत लोग आपको बरगलाने के लिए आएंगे। कहेंगे कि ये योजना केंद्र की तरफ से चल रही है। लेकिन आपको दिग्भ्रमित नहीं होना है। झारखंड के खनिज पर केंद्र की नजर रहती है। हेमंत जी ने 1 लाख छत्तीस हजार करोड़ केंद्र से मांगा है लेकिन अभी तक पैसा नहीं मिला है। अगर ये पैसा मिल जाता तो हमारे झारखंड का जो विकास है इससे कई गुणा तेजी से होता। ये मंईयां सम्मान योजना हमने जब शुरुआत की तो इनके लोगों ने पीआईएल कर दिया। मैं पूछना चाहती हूं कि जब झारखंड में ऐसी योजना चलती है तो पीआईएल हो जाता है। और भाजपा शासित राज्यों में आता है तो संवैधानिक हो जाता है।