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आंदोलन : पंचायत सचिव अभ्यर्थियों ने शुरू किया आमरण अनशन, मांग पूरी होने तक नहीं पहनेंगे जूता-चप्पल

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रांची: 

पंचायत सचिव अभ्यर्थी (Panchayat Secretary candidate) अब अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गये हैं। गौरतलब है कि पंचायत सचिव अभ्यर्थी बीते 20 दिनों से राजभवन के सामने धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि सरकार अविलंब उनका नियुक्ति पत्र जारी करे। बता दें कि 21 जनवरी को कार्मिक विभाग ने एक पत्र जारी किया, जिसमें लिखा था कि पंचायत सचिव अभ्यर्थी और निम्नवर्गीय लिपिक की नियुक्ति प्रक्रिया आहरित की जाती है। ऐसी स्थिति में अभ्यर्थियों के पांच साल का इंतजार अधूरा रह गया। 

पंचायत सचिव अभ्यर्थियों का आमरण अनशन
पंचायत सचिव अभ्यर्थियों ने ना केवल आमरण अनशन शुरू किया है बल्कि जूता-चप्पल भी त्याग दिया है। उनका कहना है कि हमारे लिए खुशी का कोई मौका आया ही नहीं तो क्यों ना शोक ही मनाएं। धनबाद से आई एक अभ्यर्थी ने बताया कि हमने लिखित परीक्षा पास की है। टाइपिंग टेस्ट पास किया। जो भी निर्धारित योग्यता थी हमने उसे पूरा किया।

डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन हो चुका है, बावजूद इसके हमारी नियुक्ति प्रक्रिया रद्द कर दी गई। हमारे लिए तो ये उम्मीदों को तोड़ने वाला फैसला है। अभ्यर्थी ने कहा कि सरकार या तो हमें नियुक्ति पत्र दे अथवा मृत्यु दे। 

नियुक्ति वर्ष में रद्द कर दी गईं तमाम नियुक्तियां
एक अन्य अभ्यर्थी ने कहा कि सरकार ने साल 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया था। कहा था कि नियमावली तैयार है। नियुक्तियां होंगी। सवाल ये है कि सरकार पुरानी नियुक्तियां क्यों रद्द कर रही है। हमारी गलती क्या है। हमने क्या गलती की है। क्या हमारी यही गलती है कि हम झारखंड के रहने वाले हैं। क्या हमारी गलती है कि हम ऐसे राज्य में रहते हैं कि जहां एक युवा मुख्यमंत्री (Chief Minister Hemant Soren) है। अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार हमारे साथ छल कर रही है। 

नियुक्ति पत्र मिलने तक जारी रहेगा अनशन
द फॉलोअप से अभ्यर्थियों ने कहा कि हमने कई मंत्रियों, विधायकों और नेताओं से मुलाकात की। हर किसी के पास यही सुनने को मिलता है कि हमने आपकी मांगों को संज्ञान में लिया है। ठोस आश्वासन दिया जाता है। अभ्यर्थियों का कहना था कि हमें आश्वासन शब्द से नफरत होने लगी है। संज्ञान का तो हमें मतलब भी समझ में नहीं आता।

उनका कहना था कि हमें यहां बैठे हुये 20 दिन हो गये। हमारे पास अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल ही एकमात्र तरीका बचा है। यदि सरकार हमें नियुक्ति नहीं देती तो यहीं देह त्याग देंगे। हम अब घर से निकल चुके हैं, बिना नियुक्ति पत्र के लौटेंगे नहीं।