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Ranchi : ...तो क्या ये महिला होगी झारखंड की अगली मुख्यमंत्री, सियासी गलियारों में चर्चा तेज

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रांची: 
झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई है। एक के बाद एक मामले सामने आने के बाद तरह-तरह की चर्चा हो रही है। पार्टी के अंदर और बाहर भी हर चौक-चौराहे पर चर्चा है है कि क्या हेमंत सोरेने की सरकार गिर जायेगी या फिर सीएम बदल जायेंगे। पार्टी के अंदर भी चर्चा तेज है। हालांकि, कोई भी इस चर्चा को समस्या नहीं बता रहा है। नेता आपस में पूछ रहे हैं कि क्या सचमुच ऐसा हो सकता है। क्या सच में सदस्यता जा सकती है। बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा में काम करने वाले दोस्तों में खूब बात हो रही है। 

अगले 15 दिनों में हो सकती है कार्रवाई 
झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में झारखंड हाईकोर्ट और चुनाव आयोग अगले 15 से 20 दिनों में कार्रवाई कर सकता है। राज्‍यपाल रमेश बैस ने चुनाव आयोग को हेमंत सोरेन के नाम पर खदान लीज लिए जाने की जानकारी दी है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा माइनिंग लीज लेने की शिकायत राज्यपाल रमेश बैस से की थी। इसके बाद राज्यपाल ने राज्‍य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को बुलाकर इस मामले में तमाम ब्‍योरा तलब किया। 

चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी
इधर भारत निर्वाचन आयोग को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले की तथ्‍यात्‍मक जानकारी मिलने के बाद चुनाव आयोग ने राज्‍य के मुख्य सचिव को चिट्ठी भेज कर डिटेल रिपोर्ट मांगी है। अगले 15 दिनों में हेमंत सोरेन के खदान लीज से संबंधित दस्तावेज आयोग ने उपलब्ध कराने को कहा है। सचिवालय सूत्रों की मानें तो अगले एक से दो दिनों में राज्य के मुख्य सचिव चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेज देंगे।

जन-प्रतिनिधित्व कानून क्या कहता है
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में किसी को पद से हटाने के लिए 3 कंडीशन होते हैं। जिसमे एक कंडीशन मौजूदा स्थिति से मेल खाता है। फिलहाल हेमंत सोरेन का मामला झारखंड उच्‍च न्यायालय में विचाराधीन है। चुनाव आयोग भी इस पूरे मामले में रिपोर्ट तलब कर चुका है। ऐसे में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामला में इन संवैधानिक संस्‍थाओं को ही फैसला करना है। 

तो क्या महिला बन सकती है विधायक दल की नेता
अगर ऐसी स्थिति सामने आती है, तो पार्टी क्या निर्णय लेगी इसको लेकर तरह तरह की चर्चा है। यदि हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन की विधायकी जाती है तो सवाल है कि पार्टी किसे जिम्मेदारी सौंपेगी। झामुमो के वरिष्ठ नेता आधिकारिक रूप से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड चर्चा है कि पार्टी सुप्रीमो को फिर से सरकार चलाने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। कहा जा रहा है कि गुरुजी के मुख्यमंत्री बनते ही पार्टी फिर से खड़ी नजर आएगी। कोई भी विधायक सरकार पर उंगली नहीं उठायेगा। कांग्रेस को भी इस नाम पर कोई आपत्ति नहीं होगी। शायद सियासी बवंडर थम जाये। 

गुरुजी सीएम बने तो क्या-क्या फायदा मिलेगा
झामुमो के वरिष्ठ नेताओं का ऑफ रिकार्ड ये मानना है कि गुरुजी के मुख्यमंत्री बनने से लोबिन हेंब्रम, दीपक बिरुआ, जगरन्नाथ महतो और सीता सोरेन जैसे बागी विधायकों की जुबान बंद हो जाएगी। हालांकि, ऐसा करने के लिए शिबू सोरेन को राज्यसभा से इस्तीफा देकर विधायक बनना होगा। इस सूरत में उनके पास 2 विकल्प होंगे। पहला दुमका और दूसरा बरहेट। गुरुजी के नाम पर सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना करने वाले लोबिन भी घूम-घूमकर वो मांगेंगे। 
कुछ लोगों ने विकल्प के रूप में एक महिला का नाम भी सुझाया है।

यदि वो राज्य की मुख्यमंत्री बनती हैं तो कोई भी फैसला बिना गुरुजी या हेमंत सोरेन से चर्चा किए बिना नहीं लेंगी। बताना जरूरी है कि ये नाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का नहीं है। इधर बरहेट और दुमका के रूप में जिन 2 सीटों के खाली होने की चर्चा है, दोनों ही आरक्षित सीटे हैं।