द फॉलोअप डेस्कः
60 वर्षीय व्यक्ति देवकी साव ने अपने छोटे बेटे मनोज साव से भरण-पोषण की मांग करते हुए कोडरमा के फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने मनोज को अपने बुजुर्ग पिता को प्रति माह 3000 रुपये देने का निर्देश दिया था। वहीं मनोज ने कहा था कि उसके पिता अमीर हैं और उनके पास कमाने के कई साधन हैं। मनोज ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
माता-पिता की सेवा करना पवित्र कर्तव्य
देवकी साव अपने बड़े बेटे के साथ रहते हैं। उन्होंने अपनी कृषि भूमि को अपने दोनों बेटों में बांट दिया था। जस्टिस सुभाष चंद ने कहा कि एक बेटे का कर्तव्य होता है कि अपने माता-पिता की देखभाल करे। अदालत के आदेश में कहा गया, "महाभारत में, यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा: 'पृथ्वी से अधिक वजनदार क्या है? स्वर्ग से भी ऊंचा क्या है?' युधिष्ठिर ने उत्तर दिया: 'मां पृथ्वी से भी अधिक भारी है; पिता स्वर्ग से भी ऊंचा है।'
याचिका खारिज किया गया
जस्टिस ने आदेश में कहा कि पिता का भरण-पोषण करना एक बेटे का पवित्र कर्तव्य है। उन्होंने एक धर्मग्रंथ का हवाला देते हुए कहा, 'पिता तुम्हारा भगवान है और मां तुम्हारी प्रकृति है। वे बीज हैं, तुम पौधा हो।' कोर्ट ने मनोज साव के याचिका को खारिज कर दिया। जिसमें उसे अपने पिता को 3,000 रुपये प्रति माह देने से मना किया था।