द फॉलोअप डेस्क
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी को लेकर फटकार लगाते हुए कहा है कि 2 से 3 महीने के भीतर सभी खाली पदों पर नियुक्ति सुनिश्चित की जाए, ताकि बच्चों को अगले शैक्षणिक सत्र में बेहतर शिक्षा मिल सके। यह निर्देश मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान दिया। मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।
शिक्षा विभाग ने 8 अप्रैल को अदालत को बताया था कि 26,000 शिक्षकों की नियुक्ति जल्द की जाएगी, जिसमें पारदर्शिता और समयबद्ध प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) से भर्ती प्रक्रिया की समयसीमा स्पष्ट करने को कहा था। JSSC ने 11 अप्रैल को दाखिल शपथपत्र में बताया कि कुछ भाषाओं जैसे कुरमाली, हो और पंचपरगनिया की परीक्षाएं अभी नहीं हुई हैं। आयोग ने कहा कि जनवरी 2026 तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
हाईकोर्ट में दायर कई याचिकाओं में बताया गया है कि राज्य में हजारों स्कूल ऐसे हैं जहां सिर्फ एक शिक्षक पढ़ा रहे हैं। याचिकाओं में कहा गया है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत हर स्कूल में कम-से-कम 2 शिक्षक और हर 30 बच्चों पर एक शिक्षक अनिवार्य है। मगर राज्य में इन नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है।
हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में आदेश दिया है कि राज्य सरकार प्लस टू स्कूलों में जनजातीय और अन्य भाषाओं के लिए स्वीकृत 1373 पदों पर 3 माह के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करे। यह निर्देश तालेश्वर महतो की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया। सुनवाई के दौरान शिक्षा सचिव भी अदालत में मौजूद थे। सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने बताया कि नियुक्ति की नियमावली बनाई जा रही है, इसमें करीब 6 महीने लग सकते हैं। इसके बाद ही JSSC को नियुक्ति के लिए भेजा जाएगा। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले ही काफी देरी हो चुकी है। अगली सुनवाई 22 जुलाई को तय की गई है।