द फॉलोअप डेस्क
झारखंड हाईकोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है कि बर्खास्त सरकारी कर्मचारियों को लीव इनकैशमेंट का लाभ नहीं मिलेगा। हाईकोर्ट के 5 जजों की इस पीठ ने इस संबंध में दायर याचिका को सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच को वापस कर दिया। चतरा के एक बर्खास्त जिला जज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि नौकरी से बर्खास्तगी के बाद भी अर्जित अवकाश का नगदीकरण उनका हक है, क्योंकि यह वेतन का हिस्सा होता है और इसे रोका नहीं जा सकता।
पीठ में मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव, जस्टिस आनंद सेन, जस्टिस राजेश शंकर, जस्टिस दीपक रोशन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी शामिल थे। पीठ ने सुनवाई के बाद यह स्पष्ट किया कि सेवा से बर्खास्त होने के बाद अर्जित अवकाश का नगदीकरण का लाभ नहीं दिया जाएगा। हाईकोर्ट के वकील सुमित गाड़ोदिया ने बताया कि इससे पहले दूधनाथ पांडेय मामले में 3 न्यायाधीशों की बड़ी पीठ ने जो फैसला दिया था, उसे गलत माना गया है। इस फैसले को ध्यान में रखते हुए वर्तमान संविधान पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि बर्खास्त कर्मियों को लीव इनकैशमेंट का अधिकार नहीं है।