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रांची : सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन! दिल्ली दौरे को लेकर सियासी अटकलें तेज

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रांची: 

झारखंड में जारी सियासी उथल-पुथल का दौर अभी थमा नहीं है। मामला, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खन पट्टा लीज को लेकर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का है। चुनाव आयोग इस पर सुनवाई पूरी कर चुका है और राजभवन को मंतव्य भी भेज चुका है। हालांकि, अभी तक राज्यपाल रमेश बैस ने पत्र को सार्वजनिक नहीं किया है। इधर सियासी गलियारों और मीडिया में कयासों का दौर जारी है। दावा है कि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री की सदस्यता रद्द कर दी है। इसी सिलसिले में बीते गुरुवार को सीएम हेमंत सोरेन ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की थी। कहा था कि वे पत्र सार्वजनिक करें अथवा मंतव्य की कॉपी सौंपे ताकि मैं विधिसम्मत अपनी तरफ से तैयारी कर सकूं। इस बीच सीएम हेमंत सोरेन ने भी दिल्ली का दौरा किया। 

सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं मुख्यमंत्री
अब सियासी गलियारों में ये चर्चा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनन पट्टा लीज से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं। दरअसल, अपने हालिया दिल्ली दौरे में मुख्यमंत्री ने कपिल सिब्बल सहित कुछ अन्य वरिष्ठ वकीलों से मुलाकात की है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री दरअसल विधिक सलाह लेने के लिए ही दिल्ली गए थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों से सलाह-मशवरा किया है। वे वकीलों से सलाह-मशवरा के बीच सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री, कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम जैसे वकीलों से मिले हैं।

 

गुरुवार को मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मुलाकात की
गौरतलब है कि बीते बुधवार को कैबिनेट की बैठक में हेमंत कैबिनेट ने राज्य में 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार मानने तथा 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। दूसरे दिन मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। सीएम हेमंत ने राज्यपाल रमेश बैस से मांग की है कि चुनाव आयोग के मंतव्य को सार्वजनिक किया जाए अथवा मंतव्य की एक कॉपी उनको सौंपी जाए ताकि वे अपने स्तर से विधिसम्मत कार्रवाई कर सकें। 

 

झारखंड में बीते 25 अगस्त से जारी है सियासी उथल-पुथल
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से ये भी कहा कि बीते 25 अगस्त से ही झारखंड में राजनैतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी द्वारा ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि मेरी विधानसभा की सदस्यता जा चुकी है। इससे राज्य में विकास का काम भी अवरुद्ध हो रहा है। कहा कि राज्यपाल लोकतंत्र और संविधान की रक्षा कर सकते हैं। राज्य का मुखिया होने के नाते वे राजनैतिक अस्थिरता पैदा ना होने दें। राज्य में भ्रम और संदेह की स्थिति खत्म होनी चाहिए।