द फॉलोअप डेस्क
झारखंड विधानसभा अध्यक्ष आसन की गरिमा धूमिल कर रहे हैं। उनके बयान से संवैधानिक मर्यादाएं तार तार हुई हैं। ये बातें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश ने गुरूवार को विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कही है। दरअसल, प्रकाश ने विधानसभा अध्यक्ष के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी। जिसमें उन्होंने बीजेपी को नेता प्रतिपक्ष चुनने की सलाह दी है। प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे विधानसभा अध्यक्ष किसी दल विशेष के आधिकारिक प्रवक्ता बन गए हैं। इस दौरान उन्होंने कहा बीजेपी के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का उनका कोई नैतिक और संवैधानिक अधिकार नहीं है। अच्छा होता वे अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करते।
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दलों के विलय का मामला को न्यायिक प्रक्रिया में उलझाया गया
प्रकाश ने कहा कि बीजेपी ने नेता विधायक दल चुनकर विधानसभा अध्यक्ष को लिखित दे दिया है। साथ ही कहा कि जहां तक दलों के विलय का मामला है तो चुनाव आयोग ने उसपर अपनी संवैधानिक मुहर लगा दी है। बावजूद इसके इसे न्यायाधिकरण के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया में उलझा दिया गया है। वहीं, उन्होंने कहा कि फैसले को भी लटकाया और अटकाया जा रहा है।
विधानसभा को अधिकृत रूप में नेता प्रतिपक्ष से रखा वंचित
प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के इशारे पर विधानसभा अध्यक्ष ने झारखंड विधानसभा को अधिकृत रूप में नेता प्रतिपक्ष से वंचित रखा है। उन्होंने कहा कि राज्य में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने से कई विधायी कार्य प्रभावित हो रहे। साथ ही कहा कि सूचना आयुक्त सहित कई संवैधानिक पद खाली पड़े हैं। वहीं, दीपक प्रकाश ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार की नीति नियत दोनों में खोट है। उन्होंने कहा कि यह सरकार राज्य की भलाई नही चाहती। केवल परिवार की भलाई चाहती है।
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