द फॉलोअप डेस्क
हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनाए जाने पर असम के मुख्यमंत्री एवं झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी डॉ हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, "झारखंड में जेएमएम एवं कांग्रेस पार्टी द्वारा एक वरिष्ठ आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाना अत्यंत दुखद है। मुझे यकीन है कि झारखंड की जनता इस फैसले की निंदा करेगी और इसे दृढ़ता से खारिज करेगी" वहीं नेता प्रतिपक्ष, झारखंड विधानसभा अमर कुमार बकरी ने अपने X पर लिखा कि "चंपाई सोरेन जैसे वरिष्ठ नेता के साथ सोरेन परिवार का यह व्यवहार बहुत शर्मनाक और निंदनीय है। अब झारखंड के चुनावों में कुछ महीने ही बचे हैं, लेकिन सोरेन परिवार को सत्ता की ऐसी बेकरारी है कि वे इससे एक दिन भी दूर नहीं रह सकते हैं।
नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने क्या कहा
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, वैसे भी सरकार तो जेल से हेमंत सोरेन ही चला रहे थे। लेकिन जेल से जमानत पर बाहर आते ही फिर से गद्दी पर बैठने के लिए बेकरार हो उठे। पिछ्ले पांच सालों झारखंड को शर्मशार करने की कोई भी कसर हेमंत सोरेन ने नहीं छोड़ी है। ज्ञात हो कि सीएम हाउस में बुधवार को मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, सत्ता पक्ष के विधायकों और कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर की उपस्थिति में हुई बैठक में हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनने पर सहमति बनी। यह भी तय हुआ कि राजभवन जाकर इसकी सूचना आज ही दी जाए। इसके साथ ही हेमंत सोरेन राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभालेंगे।
हेमंत के नाम पर ऐसे बनी सहमति
गौरतलब है कि आज मुख्यमंत्री आवास में सत्ताधारी दल के विधायकों की बैठक में प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का फैसला लिया गया। हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति बनी। इस बात का प्रस्ताव प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने रखा था। बाद में विधायकों ने इस पर सहमति जताई। गुलाम अहमद मीर का तर्क है कि 2019 का विधानसभा चुनाव गठबंधन ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जीता था। लोकसभा चुनाव 2024 में जेल में रहते हुए भी परिणामों में हेमंत सोरेन का असर दिखा। अब, जबकि हेमंत सोरेन जेल से बाहर हैं तो विधानसभा चुनाव के 4 महीने पहले यह उपयुक्त समय है कि हेमंत सोरेन ही सरकार का नेतृत्व करें। सियासी जानकारों का भी कहना है कि बतौर मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में जाना हेमंत सोरेन और पूरे इंडिया गठबंधन के लिए श्रेयस्कर रहेगा।