logo

रांची में 24 जून को होगा अंतराष्ट्रीय मुशायरा,  जमेगी मोहब्बत और बंधुत्व की महफ़िल

WhatsApp_Image_2023-06-21_at_10_17_54_PM1.jpeg

द फॉलोअप डेस्क, रांची
भारतीय उपमहाद्वीप में जन्मी उर्दू का डंका आज समूचे विश्व में बज रहा है। इसकी वजह है इसकी मीठास और मोहब्बत से लबरेज़ लहजा। वहीं  इसी अखंड भारत में सूफियों ने भाईचारे का पैग़ाम दिया। प्रेम और सद्भाव के इसी संदेश के प्रचार प्रसार के लिए रांची में देश विदेश के शायर जुट रहे हैं। बज्म-ए-कहकशां के बैनर तले एक अंतरराष्ट्रीय मुशायरा, मौलाना आज़ाद सभागार, अंजुमन प्लाजा, एमजी रोड, रांची में 24 जून शाम 7 बजे आयोजित होगा। यह जानकारी आज मुशायरा के संयोजक व कवि लेखक शहरोज क़मर ने एक प्रेस वार्ता में दी। जिसका आयोजन रहमानिया मुसाफिर खाना, अंजुमन प्लाज़ा में किया गया था।


अरब, नेपाल, दिल्ली, महाराष्ट्र, बंगाल तक के शायर
मौके पर वरिष्ठ सूफ़ी-शायर मौलाना गुफरान अशरफी ने बताया कि मुशायरा में दिल्ली से माजिद देवबंदी, अना देहलवी व सरफराज़ अहमद फ़राज़, जलील निज़ामी (क़तर), अनवर कमाल अनवर (बहरैन), फूल मोहम्मद नेपाली, फैयाजी फ़ैज़ (नेपाल), मुजाविर मालेगांव, कोलकाता से रिहाना नवाब, रौनक़ अफ़रोज़ व शहनाज़ रहमत, सरवर साजिद (अलीगढ़), कामरान गनी सबा (मुजफ्फरपुर), मोईन गिरिडीही,  दर्द दानापुरी (पटना), अख़्तर इमाम अंजुम (सासाराम), पलामू से अमीन रहबर व शमीम रिज़वी, आफताब अंजुम (गुमला), परवेज़ रहमानी (लोहरदगा),  ज़ैन रामिश (हजारीबाग), गया से इरफ़ान मानपुरी, एजाज़ मानपुरी, सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र व सुमन कुमार सुमन, शोभा किरण  (जमशेदपुर), शब्बीर हसन शब्बीर (औरंगाबाद), इम्तियाज़ दानिश (झरिया), इक़बाल हुसैन (धनबाद) के अलावा रांची के अज़फर जमील आदि भी शरीक होंगे। महफ़िल को दरगाह हज़रत निज़ाम उद्दीन औलिया के सज्जादा नशीं हज़रत पीर ख्वाजा फ़रीद अहमद निज़ामी की सरपरस्ती (संरक्षण) हासिल होगी। वहीं ग़ालिब अकादमी, दिल्ली के सचिव अकील अहमद बतौर ख़ास मेहमान मौजूद रहेंगे।


उर्दू की स्थित पर सेमिनार भी
प्रेस मीट में जनवादी लेखक संघ  के  सचिव एमजेड खान ने कहा कि बिहार और झारखंड में उर्दू की वर्तमान स्थिति पर मुशायरा से पहले एक सेमिनार भी होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उर्दू दैनिक कौमी तंजीम के संपादक एसएम अशरफ फरीद होंगे तो सान्निध्य सोशल एक्टिविस्ट शफी अहमद अशरफी का होगा। 

सम्मानित किए जायेंगे स्थानीय साहित्यकार
आयोजक संस्था के खालिक हुसैन परदेसी ने उर्दू में झारखंड और रांची के योगदान की चर्चा की। बताया कि कार्यक्रम में स्थानीय शायर और अदीबों को सम्मानित भी किया जाएगा। मौके पर शायर बदरे वकार भी उपस्थित थे।