रांची
हेमंत सोरेन की सरकार के लिए सोमवार को फ्लोर टेस्ट यानी विश्वास मत हासिल किया जाना है। लेकिन इससे पहले कल, रविवार को इंडिया गठबंधन में शामिल सभी विधायकों की एक बैठक कल बुलाई गयी है। हालांकि हेमंत सरकार के पास बहुमत सिद्ध करने के लिए पर्याप्त आंकड़ा है, फिर भी इस बैठक को अहम माना जा रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि गठबंधन के सभी विधायक मुख्यमंत्री के साथ हैं। उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया है। गठबंधन की ओर से रविवार को फ्लोर टेस्ट की रणनीति तय करने के लिए सीएम आवास में एक बैठक बुलाई गई है।
इधर, कल ही एनडीए की बैठक रांची में होने वाली है। एनडीए में शामिल सभी दलों के विधायक इसमें हिस्सा लेंगे। इस बैठक को भी अहम माना जा रहा है। जानकार इसे चंपाई सोरेन के एक बयान से भी जोड़कर देखकर देख रहे हैं। दरअसल सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद आज ही चंपाई सोरेन का पहला बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने शिक्षकों को नियुक्ति पत्र नहीं बांट पाने का अफसोस जताया हैं। वहीं, बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने सीएम हेमंत सोरेन को चुनौती देते हुए पूछा है कि आखिर विश्वास मत हासिल करने से पहले वे अपने कैबिनेट का विस्तार क्यों नहीं कर रहे हैं। बाउरी ने आगे कहा, दरअसल हेमंत सोरेन में इतनी हिम्मत नहीं है। कहा जिस तरह से चंपाई सोरेन को हटाकर वे राज्य का मुख्यमंत्री बने हैं, वो न्यायसंगत नहीं है। इस तरह का अनुचित कदम उठाने के बाद हेमंत सोरेन में इतना साहस नहीं रह गया है कि वो विश्वास मत से पहले किसी को मंत्री बना सकें। जानकारों को मानना है कि बीजेपी अगर इस बातों को लेकर नैरेटिव बनाने में कामयाब हो जाती है तो तस्वीर कुछ बदल सकत है। हालांकि इसकी संभावना कम ही है।
ऐसे बदलती गयी तस्वीर
बता दें कि हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट ने बड़गाई जमीन घोटाले में राहत देते हुए 28 जून को जमानत दे दी थी। कोर्ट ने कहा कि ईडी के पास कोई सबूत नहीं है जिससे यह माना जाए कि हेमंत सोरेन घोटाले में लिप्त हैं। जेल से बाहर आते ही यह अटकलें तेज हो गई थी कि हेमंत की फिर से ताजपोशी हो सकती है। इसके बाद बैठक में उन्हें नेता चुना लिया गया और 4 जुलाई को उन्होंने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली।