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शिबू सोरेन के 40 साल के संघर्ष से मिला झारखंड, 20 साल में आदिवासी-मूलवासी को नहीं मिला हक: हेमंत सोरेन

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द फॉलोअप डेस्कः
आज जामताड़ा में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में सीएम हेमंत सोरेने शिरकत करने पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर खूब हमला बोला। वह कह रहे थे कि एकीकृत बिहार में झारखंडी आवाम की हालत बद से बदतर होती जा रही थी तभी शिबू सोरेन ने अलग राज्य के लिए संघर्ष किया। 40 साल के संघर्ष के बाद हमें अलग राज्य मिला। कई कुर्बानियों के बाद अलग राज्य मिला लेकिन जनता को अधिकार राज्य गठन के 20 वर्ष बाद भी नहीं मिला। सामान्य दिनों में राज्य में लोग हाथ में राशन कार्ड हाथ में लेकर मर गए। हमारी सरकार में कोरोना महामारी और सुखाड़ में भी किसी को भूखों मरने नहीं दिया। पूर्ववर्ती डबल इंजन की सरकार ने 11 लाख लोगों का राशन कार्ड डिलीट कर दिया। 


पहली की सरकार ने अपनी सेवा में पदाधिकारियों को लगाया 
विपक्ष ने पदाधिकारियों को जनता की बजाय अपनी सेवा में लगाया। पहले कैंप में 35 लाख आवेदन मिले। दूसरे कैंप में 55 लाख आवेदन मिले। 1 करोड आवेदन मिले तो मैं हैरान था कि 20 वर्षों में क्या काम हुआ। क्या जिला और ब्लॉक कार्यालय में काम नहीं हुआ। आखिर इतनी समस्याएं क्यों आई। पेंशन, आवास, राशन, शिक्षा से जुड़ी शिकायतें मिली। आवेदन के माध्यम से ग्रामीण इलाकों की समस्याएं समझी। कार्ययोजना का आधार आपका आवेदन बना। झारखंड को मजबूत करने के लिए इसके गांवों को मजबूत करना होगा। 80 फीसदी लोग गांव में भूखे नंगे हैं, उनका पेट भरे बिना पिछड़ेपन का कलंक नहीं मिटेगा। ग्रामीण विकास पर केंद्रित योजनाएं बनीं। आदिवासी, दलित, पिछड़ा, अल्पसंखयक इस राज्य में संघर्ष कर रहे थे। निर्दयी लोग हैं। यूपीए सरकार में खाद्य सुरक्षा अदिनियियम के तहत राशन वितरण की योजना बनी लेकिन डबल इंजन की सरकार ने हक छीना। हमारी सरकार ने 20 लाख राशन कार्ड गरीबों में बांटा। हर व्यक्ति की प्राथमिक जरूरत रोटी, कपड़ा और मकान है। हमने 20 लाख राशन कार्ड बांटकर गरीबों के लिए भोजन सुनिश्चित किया। अब 1 किलो दाल भी मिलेगा। 


केंद्र ने आवास देने से भी मना कर दिया 
विपक्ष ने सुंदरपहाड़ी में मलेरिया से आदिम जनजाति समुदाय के लोगों की मौत की खबर का वीडियो वायरल किया। मलेरिया अमीरों की बीमारी नहीं है बल्कि गरीबों की बीमारी है। जिनके पास घर नहीं है उन्हें यह बीमारी हुई। हमने केंद्र से अतिरिक्त पीएम आवास मांगा लेकिन नहीं मिला। आवास की संख्या घटाकर बीजेपी शासित राज्यों को दिया गया। हमने फैसला किया कि हम केंद्र से बेहतर घर बनाकर देने के लिए आबुआ आवास योजना की शुरुआत की। पीएम आवास 2 कमरों का मुर्गी के दबड़े जैसा मकान है लेकिन हम 3 कमरों का आवास बनाकर देंगे। हम 10 रुपये में गीबों को धोती-साड़ी लुंगी दे रहे हैं।