सिमडेगाः
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज खतियानी जोहार यात्रा को संबोधित करने सिमडेगा पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने जमकर विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज यहां का खतियानी, यहां का मूलवासी और यहां का आदिवासी बेटा राज्य के मुखिया के तौर पर खड़ा है, और बहुत दुर्भाग्य की बात है राज्य लेने में भी हमें 35-40 साल लग गया और सरकार बनाने में भी 20 साल। मतलब सारा हक अधिकार 20 साल तक गांव के लोगों को देखनी नसीब नहीं हुआ। हमारी सरकार बनते ही कोरोना आ गया। समझ नहीं आता था क्या करें, रात में नींद नहीं आती थी और हमारे राज्य की स्थिति बेईमानों ने इतनी गंदी कर के रख दी थी कि हर तरफ हहाकार मचा था। कोरोना के समय में लाखों लोग बाहर काम करने को मजबूर थे। अचानक इन लोगों ने देश को लॉकडाउन कर दिया और गरीब मजदूरों को सड़कों पर छोड़ दिया। गाड़ी मोटर सब कुछ बंद हो गया था और ऐसे में झारखंड के 20-25 लाख मजदूर दूसरे राज्य में काम कर रहे थे। उस वक्त बहुत विचित्र स्थिति थी। लेकिन फिर भी हमने अपने मजदूर भाई बहनों को किसी को ट्रेन से, किसी को हवाई जहाज से, किसी को गाड़ी से वापस बुलाया। यहां 20 सालों में सिर्फ मजदूर के अलावा कुछ पैदा नहीं हुआ। इन बेईमानों कभी मूलवासी आदिवासियों के लिए फिक्र नहीं किया। जहां सब कुछ बंद हो गया था ऐसी स्थिति में मजदूरों का कितना बुरा हाल होता है। आप समझ सकते हैं। बच्चों को भूखा सोना पड़ता लेकिन ऐसी विषम परिस्थिति में भी हम लोगों ने एक भी व्यक्ति को इस राज्य में भूखा नहीं मरने दिया। पूरे गांव में पंचायत-पंचायत लोगों को खाना बना बना कर खिलाने का काम किया। 1 दिन नहीं, 2 दिन नहीं 2 साल तक ऐसी स्थिति बनी रही और 2 साल के बाद जब हम काम करना शुरू किए तो विपक्ष के पेट में दर्द शुरू हो गया। एन केन प्रकारेण हमारे विकास की गति के काम को रोकने शुरू कर दिया।
गांव-गांव जाते हैं पदाधिकारी
आज गांव-गांव पंचायत पंचायत टोला टोला जहां पदाधिकारी कभी जाते नहीं थे, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कोई बैलगाड़ी से ट्रैक्टर से, कोई गाड़ी से शिविर लगाकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान कर रहे हैं। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के माध्यम से सभी पदाधिकारी पंचायत पंचायत भेजते हैं। ऐसी कोई जगह नहीं बची जहां पदाधिकारी शिविर नहीं लग लगा रहे। बीडीओ, सीओ, मंत्री बड़े-बड़े पदाधिकारी भी पंचायतों में जाते हैं। 20 सालों में दूसरे पदाधिकारी कभी अपने बंद कमरे से बाहर नहीं निकला और आज पदाधिकारी गांव जाकर समस्या का समाधान कर रहे हैं। शिविरों के माध्यम से हमको 65 लाख ग्रामीणों की शिकायत मिली है। 20 साल में विपक्ष ने क्या किया। 65 लाख से अधिक शिकायत हमारे तक आई है। उससे पहले 40 लाख आई थी। दो-दो बार शिविर लगा। शिविर का ही नतीजा है कि समस्याएं सामने आ रही हैं। आज उन समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। इस सरकार के बनने के बाद के वक्त हमने जो कुछ सोच रखा था उन सभी योजनाओं को धरातल पर उतार लेंगे। आज कोई भी बिना पेंशन के यहां नहीं मिलेगा। हमने कानून बना दिया जो भी राज्य में 60 साल का होगा उसे पेंशन मिलेगा। उसे कोई रोक नहीं सकता। आज गांव में कोई ऐसा बूढ़ा बूढ़ी नहीं है जिसे पेंशन नहीं मिल रहा। दिया लेकर ढूंढने से भी नहीं मिलेगा। पहले बुजुर्ग पेंशन लेने के लिए इस दलाल उस दलाल के चक्कर में फंसे थे लेकिन नहीं मिलता था। अब किसी को किसी दलाल के पास नहीं जाना पड़ता। कोई विधवा महिला बिना पेंशन के नहीं है। कोई दिव्यांग बिना पेंशन के आज नहीं है। पिछली सरकार में इन लोगों ने 11 गरीबों का राशन कार्ड दिया। हमने 20 लाख लोगों को राशन कार्ड दिया लेकिन इसमें भी हमारे साथ बेईमानी की गई। हमने कहा हम अनाज खरीद के देंगे लेकिन हमें भारत सरकार की तरफ से अनाज नहीं दिया गया। हम तो अनाज खरीद कर देने के लिए भी तैयार थे लेकिन केंद्र से सहयोग नहीं किया गया। सावित्रीबाई फूले योजना हमने बच्चियों के लिए शुरू की है। हमारी बच्चियों का भविष्य पैसे के अभाव में ना छूटे। बच्चियों को जब वह 18 साल की हो जाएंगी तब उन्हें एक साथ 40 हजार दिए जाएंगे और साथ-साथ कोई भी हो बेटा हो बेटी हो उसको इंजीनियर, डॉक्टर बनाना हो, आईएएस, आईपीएस बनाना हो और उसके लिए जो भी कोचिंग का खर्चा आएगा। उसका पूरा भुगतान राज्य सरकार करेगी। अब आपको अपने बच्चों की पढ़ाई की चिंता नहीं करनी है। उनको बकरी चराने के लिए गाय चराने के लिए नहीं लगाना बल्कि और बीडीओ, सीओ, आईएएस, आईपीएस, वकील, जज बनाओ। आदिवासी पिछड़े इलाकों में ऐसे लोगों की घोर कमी है। आदिवासी वकील भी बहुत कम है। 20 साल में पहली बार हम लोगों ने जेपीएससी के जरिए ढाई सौ बच्चों का भर्ती कराया और सभी विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। आपको सुनकर खुशी होगी कि इनमें से कुछ बच्चे ऐसे हैं जो बीपीएल परिवार से हैं, आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के बच्चे हैं, किसान के बच्चे हैं, राशन कार्ड से उनका घर चलता है। आज जेपीएससी में अधिकारी बने हैं। इन 20 सालों में कभी नहीं हुआ अब जब हम इस राज्य में 1932 का खतियान नियोजन नीति बना रहे थे ताकि कम से कम 100% थर्ड फोर्थ ग्रेड में यहां के लोगों को नौकरी मिले तो बेईमानों ने दूसरे राज्य से लोगों को बुलाकर अपने कार्यकर्ता को नियोजन नीति को रद्द करवाया। 20 लोग इस नियोजन नीति के खिलाफ कोर्ट में गए और हमारे नियम को खारिज करवाया और उसमें कोई झारखंडी नहीं था। बल्कि सब यूपी बिहार का लोग था। 20 लोग उसमें आवेदक थे। कोर्ट कचहरी किए। एक यहां का आदिवासी जो भाजपा का कार्यकर्ता था उसको आगे करके 19 व्यक्ति यूपी और बिहार का। बताईए झारखंड का नियोजन नीति और केस करने वाले लोग यूपी बिहार के। इससे आप अंदाजा लगा लीजिए। इसलिए हमने 1932 का खतियान 9वीं अनुसूची में डाला है और भारत सरकार को भेजा है। अगर हमारे राज्य में सीएनटी एसपीटी एक्ट नहीं होता तो हम लोग माइक पर भाषण नहीं दे रहे होते। इसलिए हमने आदिवासियों को और सुरक्षित करने के लिए 1932 को आधार बनाया है। इसलिए केंद्र सरकार के पास भेजा है।
ओबीसी को हमने दिया अधिकारी
ओबीसी का पक्ष लेते हुए सीएम ने कहा कि जब राज्य अलग हुआ था उस समय यहां ओबीसी को 27% आरक्षण मिला था लेकिन इनकी सरकार ने आरक्षण घटाकर 14% कर दिया था। ओबीसी हमेशा आंदोलन लेकिन कभी भी भाजपा की सरकार ने इनपर ध्यान नहीं दिया। आज यहां की सरकार ने ओबीसी को 27% आरक्षण देने का काम किया। जब बाबूलाल मरांडी सीएम थे उस वक्त ऐसा कानून बना दिया कि लोग एक दूसरे का खून पीने को उतारू थे। अनेक लोगों की जानें चली गई। यह लोग जो भी कानून बनाते हैं। वह एक दूसरे को लड़ाने का कानून बनाते हैं और वही हमने जब 1932 का कानून बनाया तो इस राज्य में ढोल मांदर के साथ उसका स्वागत हुआ। यही फर्क है हममें और उनमें। हम लोग जो निर्णय करते हैं सिर्फ प्यार और सौहार्द बढ़ता है। राज्य का विकास होता है लेकिन आप जो निर्णय करते हैं उससे लोग एक दूसरे का खून पीते हैं। एक दूसरे को जान लेने को उतारू होते। आदिवासी को आदिवासी से लड़वाते हैं, दलित को दलित से लड़ओ, हिंदू को मुस्लिम से लड़ाओ। अभी छत्तीसगढ़ में ही आदिवासी को आदिवासी से लड़ा दिया। यह लोग बहुत सुनियोजित तरीके से हमारे गिरिडीह जिला में जैन धर्म के तीर्थ स्थल वहां पर भी आदिवासियों और जैनियों के बीच में भेदभाव कराने की तैयारी में थे। आपको बता दें बहुत आने वाले समय में यहां के मूलवासी आदिवासियों के लिए एक चुनौती भरा दिन होगा। अगर फिर से यह सत्ता में आए तो यहां का मूलवासी, आदिवासी कभी खड़ा नहीं हो पाएंगे। अभी आपको सिमडेगा के शहरी क्षेत्र में आदिवासी नहीं मिलेगा। गिनती के आदिवासी मिलेंगे। अभी शहर कब्जा किया है। आने वाले समय में गांव कब जा कर लेंगे। आप लोगों को यहां से भगा कर कहां भेज देंगे पता नहीं। वन अधिकार कानून बदला है। अधिकतर क्षेत्र में यहां आदिवासी लोग रहते हैं। अगर उनके तरफ से बनाया गया कानून लागू हो गया तो जंगल का खनिज निकालना हो तो गांव की सहमति नहीं ली जाएगी। ग्रामसभा की सहमति नहीं ली जाएगी। उसको भी खत्म कर दिया जाएगा। हमने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। कह दिया है कि यह कानून लागू नहीं होगा क्योंकि क्षेत्र में हमारे आदिवासी रहते हैं। जंगल खत्म तो आदिवासी खत्म। हमारे पीछे केंद्रीय एजेंसियों को लगाया जा रहा है। क्या करोगे हमारे पीछे लगाकर। हम व्यापारियों का नेतृत्व थोड़ी करते हैं। हम व्यापारियों के नेता थोड़ी हैं। हम यहां के नंगे, भूखे, दलित, पिछड़े आदिवासियों के नेता है। वह हमको क्या देगा, हम उनको देने के लिए दिन रात लगे हैं। कैसे हम इनका विकास करे। कैसे उनके पैरों पर खड़ा करें। कैसे यह हमारे आने वाली पीढ़ी को शिक्षा मिले। हमारी सिमडेगा गुमला खूंटी की बच्चियां देश विदेश में खेल के जरिए बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। उन सभी बच्चियों को हमने सीधा सरकारी नौकरी देने का कानून लाया है। पंचायत पंचायत में खेल का मैदान बन रहा है। स्टेडियम बन रहा है। गांव के बच्चे खेल के माध्यम से आगे आ सके। इसके लिए मुख्यमंत्री फुटबॉल कप चलाया गया। लगभग 80 हजार बच्चों ने उस खेल में हिस्सा लिया। बच्चों को फुटबॉल का किट भी हमने दिया। अच्छा खेलने वालों को लाखों रुपए का पुरस्कार भी मिला। अगर हम बात करना शुरू करें तो समय कम पड़ेगा। आने वाले समय में एक ऐसा रूप लेकर आएगा जो लोग इस राज्य को कोसते थे उस राज्य को भागने का विचार करना पड़ेगा। 20 साल में ऐसे लोगों से राज्य का नेतृत्व किया ऐसे दलों ने नेतृत्व किया जो दल गुजरात चलाता है, जो दिल्ली चलाता है, जो महाराष्ट्र चलाता है, यूपी चलाता है, वही लोग इस राज्य को चलाता था। गुजरात सबसे अग्रणी राज्य बन गया, महाराष्ट्र अग्रणी राज्य हो गया लेकिन झारखंड पीछे क्यों चला गया। ये बेईमान लोग चाहते ही नहीं थे कि यहां के आदिवासी का विकास करे। उन लोगों को पता है के यहां के उड़ीया लोग उड़ीसा चलाते हैं, महाराष्ट्रीयन महाराष्ट्र चलाता है इसलिए विकास हो गया औऱ अब झारखंडी झारखंड चलाएगा। इसलिए इसका विकास भी कोई रोक नहीं सकता।
यहां भी होगा वर्ल्ड कप का आयोजन
आगे सीएम ने कहा कि कभी भी इन लोगों ने 5 साल किसी मुख्यमंत्री को रहने नहीं दिया। 5 साल तक आदिवासी मुख्यमंत्री आज तक नहीं रहा और रहा भी तो छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री 5 साल रह गया। जो लूट कर चला गया। पूरा खोखला कर दिया। जब हमने सत्ता संभाला तो हमने देखा यह तो पूरा राज्य खाली कर दिया। अब राज्य चलेगा कैसे। गरीबों का पेट हम भरेंगे कैसे। हमको कोरोना की लड़ाई भी लड़नी थी। कोरोना खत्म भी नहीं हुई थी कि सुखाड़ की स्थिति आ गई। 20 लाख किसानों को डीबीटी के माध्यम से पैसा दिया। हमने सावित्रीबाई फुले के माध्यम से लाखों बच्चियों को जोड़ा। बगल में उड़ीसा में वर्ल्ड कप हो रहा है। आप चिंता मत करिए। अगर हमारी सरकार रही तो झारखंड में भी वर्ल्ड कप का ताकत कराने का रखते हैं। अब चाहे कितना भी तूफान कितना भी आंधी आए। अगर इस राज्य का आदिवासी हमारे साथ खड़ा है तो हम राज्य का एक भी बाल बांका नहीं होने देंगे। पहले पहले मुख्यमंत्री का घेराव होता था अधिकार मांगने के लिए लेकिन आज मुख्यमंत्री का घेराव होता है धन्यवाद और आभार देने के लिए। मिठाई खिलाने के लिए। गुलाल लगाने के लिए। यही फर्क है उस सरकार में और हमारी सरकार में। लेकिन यहीं पर हमारा सफर खत्म नहीं होगा अभी पहली सीढ़ी चढ़ी है। ये लोग आपको हिंदू,मुस्लिम, ईसाई के नाम पर लड़ाएंगे, लेकिन आपको सतर्क रहना है। धर्म जाति पर किसी को लड़ने की जरूरत नहीं है। धर्म जात से पेट नहीं भरता है। मेहनत करने से भरता है। आपको लड़कार अपनी राजनीतिक रोटी सेकेंगे। ये बेईमान लोग आपको सिर्फ लड़ाई में झगड़ा करवाएंगे लेकिन आपको लड़ना नहीं है।