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Ramnavmi 2022 : 100 साल पुराना है हजारीबाग के रामनवमी जुलूस का इतिहास, जानिए कब हुई थी शुरुआत

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हजारीबाग: 

झारखंड के हजारीबाग जिले में रामनवमी सबसे भव्य तरीके से मनाई जाती है। यहां का रामनवमी जुलूस बेहद खास होता है। इसकी ख्याति इतनी ज्यादा है कि विदेशी पत्रकार भी इसे कवर करने पहुंचते हैं। गौरतलब है कि हजारीबाग की रामनवमी जुलूस की परंपरा 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है। कहते हैं कि साल 1918 में इसकी शुरुआत हुई थी। 

1918 में हुई थी रामनवमी जुलूस की शुरुआत
कहा जाता है कि 1918 में गुरु सहाय ने हजारीबाग में रामनवमी जुलूस की शुरुआत की थी। कहते हैं कि गुरु सहाय को सपना आया था। उन्हें सपने में कहा गया कि वे महावीर झंडा लेकर पूरे इलाके का भ्रमण कीजिए। उन्होंने अपने 5 दोस्तों को साथ लिया और महावीर झंडे के साथ भ्रमण किया। तभी से ये परंपरा बन गई। इसकी भव्यता अब अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त किया। 

गाजे-बाजे के साथ निकलती है झांकियां
शुरुआत में गुरु सहाय ने अपने मित्रों के साथ महावीर झंडे के साथ जुलूस निकाला। गाजे-बाजे के साथ विभिन्न मंदिरों का भ्रमण किया। जब गुरु सहाय का निधन हो गया तो उनके परिजनों और समाज के लोगों ने परंपरा को आगे बढ़ाया। इसमें तय किया गया कि हर साल जिले में भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जायेगा।

ईटीवी भारत की रिपोर्ट के मुताबिक शहर के समाजसेवी हीरालाल महाजन, टोबरा गोप, कर्मवीर, कन्हैया, घनश्याम और पांचू जैसे रामभक्तों ने परंपरा को आगे बढ़ाया। साल 1960 में शहर के समाजसेवियों ने मिलकर एक महासमिति का गठन किया। 

अलग-अलग मोहल्लों को कहा जाता है अखाड़ा
हजारीबाग में अलग-अलग टोलियां रामनवमी का जुलूस निकालती है। प्रत्येक टोले को अखाड़ा कहा जाता है। इसी में से एक गोवा टोली ने पहली बार साल 1970 में जुलूस में ताशा पार्टी को जुलूस में शामिल किया। हजारीबाग में आमतौर पर 3 दिन का रामनवमी जुलूस निकलता है। झांकियां भी निकाली जाती हैं जिसकी शुरुआत साल 1980 में हुई थी। 


कोरोना की वजह से बीते 2 वर्ष से लगा था प्रतिबंध
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की वजह से बीते 2 वर्षों से हजारीबाग में रामनवमी जुलूस नहीं निकला। इस बार स्थिति सामान्य है तो लगातार हजारीबाग सदर के विधायक मनीष जायसवाल सहित बीजेपी नेता जुलूस को अनुमति देने की मांग कर रहे थे। शुरुआत में तो सरकार ने कोरोना और सुरक्षा का हवाला देकर आनाकानी की लेकिन बाद में इजाजत दे दी।