द फॉलोअप डेस्क, गुमला
गुमला जिला से मर्यादा पुरुषोत्तम राम का सीधा कनेक्शन है। दरअसल, गुमला से 26 किलोमीटर की दूरी पर पालकोट प्रखंड है। पालकोट में ऋष्यमुख पर्वत है। इस पर्वत में रामायण काल से जुड़े कई निशान आज भी मौजूद हैं। दरअसल, ऋष्यमुख पर्वत में सुग्रीव रहते थे। जब सुग्रीव की लड़ाई उनके भाई बाली से हुई थी तब वह इसी पर्वत में छिपकर रह रहे थे। इसी समय श्रीराम ऋष्यमुख पर्वत आये थे। श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ माता सीता की तलाश में यहां पहुंचे थे। यहां श्रीराम सुग्रीव से मिले थे। इसी पर्वत के चोटी पर माता भी शबरी रहा करती थीं। इतिहास की मानें तो श्रीराम ने यहीं माता शबरी के झूठे बेर खाये थे।
श्रीराम ने इसी पर्वत पर बाली को मारा था
ऋष्यमुख पर्वत पर श्रीराम ने बाली को मारा था और सुग्रीव को उनका राजसिंहासन वापस कराया था। सुग्रीव ने जब अपने भाई बाली से युद्ध हारकर घुटने टेके थे उसके निशान आज भी इस पहाड़ पर मौजूद हैं। पर्वत पर सुग्रीव गुफा और माता शबरी की कुटिया है। हालांकि, माता शबरी की कुटिया को अब मंदिर में तब्दील कर दिया गया है। आज भी बड़ी संख्या में लोग पालकोट के ऋष्यमुख पर्वत दर्शन के लिए जाते हैं। इस पर्वत पर मंतगमणी का शंख आज भी सुरक्षित रखा हुआ है। इस शंख को देखने के लिये श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगती हैं।
कभी निर्झर झरने का पानी पिया था श्रीराम ने
इस पर्वत की चोटी पर एक झरना है। इस झरने का नाम निर्झर झरना है। कहा जाता है कि भगवन श्रीराम जब भी ऋष्यमुख पर्वत आया करते थे, वे इसी झरने का पानी पीते थे। वहां के स्थानीय लोगों का दावा है कि गर्मी के मौसम में पालकोट के सभी झरने सूख जाते हैं। निर्झर ही एक मात्र ऐसा झरना है जहां साल भर पानी बहता रहता है। निर्झर झरने का पानी आज तक कभी नहीं सूखा है। पालकोट के प्रखंड के लोग इसी झरने का पानी पिया करते हैं। लोगों का मानना है कि दैविक शक्ति की वजह से इस झरने का पानी कभी नहीं सूखता है।