logo

विस्थापितों के जमीन छीनने के लिए बनाए गए लैंड बैंक को अविलंब रद्द करे हेमंत सारकार- जेसीएमयू

1581.jpg

द फॉलोअप डेस्क

भाजपा की रघुवर सरकार ने विस्थापितों के जमीन आसानी से छीनने के लिए लैंड बैंक बनाया था। उसके जरिए अभी तक विभिन्न कंपनियां, भू माफियाओं द्वारा नौकरशाह से गंठजोड़ कर आसानी से विस्थापितों के जमीन को लूट रहे हैं। प्रबंधन आसानी से अपना प्लांट खदान चला रही है। दूसरी तरफ विस्थापित अपने जमीन मकान के एवज में नौकरी मुआवजा के लिए भटक रहे हैं। झारखंड में स्थित विभिन्न कंपनियों द्वारा ली गई विस्थापितों के जमीन के बदले मुआवजा एवं नौकरी नहीं मिलने पर चिंता व्यक्त करते हुए वर्तमान हेमंत सरकार से लैंड बैंक जैसे नियम को अविलंब रद्द करने की अपील की जाती है। यह बातें गुरूवार को झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन (जेसीएमयू) एवं झारखंड श्रमिक संघ की केंद्रीय कार्य समिति की संयुक्त बैठक में निकलकर सामने आई। यह बैठक केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन की अध्यक्षता में रांची के मोरहाबादी स्थित राजकीय अतिथिशाला सभागार में हुई।

75 प्रतिशत नियोजन को लागू करने के लिए होगा आंदोलन
मजदूर एवं विस्थापितों के ज्वलंत समस्याओं के अलावा हेमंत सरकार द्वारा निजी कंपनियों में विस्थापितों एवं स्थानीय को 75% नियोजन की घोषणा के क्रियान्वयन को लेकर भी चर्चा हुई। तय हुआ कि सभी कंपनी के क्षेत्रों में चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। इसके अलावा सर्वसम्मति से झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन एवं झारखंड श्रमिक संघ के संगठन विस्तार करने के लिए वर्ष 2023 में सदस्यता अभियान चलाने तथा मजदूर-विस्थापितों के ज्वलंत समस्याओं को लेकर आंदोलन करने का निर्णय लिया गया।

समान काम-समान वेतन लागू कराने का होगा प्रयास

बैठक में हेमंत सरकार के एक निर्णय का स्वागत भी किया गया। दरअसल भाजपा नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार द्वारा 44 श्रम कानून में से 29 श्रम कानूनों को कंपनियों के मालिकों एवं पूंजीपतियों के हित में चार कोड में बदले जाने जैसे कानून को लेकर रघुवर सरकार ने झारखंड में वर्ष 2015, 2018 एवं 2019 में विधायक पास किया था। लेकिन उसको हेमंत सरकार द्वारा संशोधन करते हुए लागू नहीं होने का प्रस्ताव लिया जो स्वागत योग्य है। इसके साथ साथ केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों में कार्यरत आउट-सोर्स कंपनी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी 25000 एवं "समान काम-समान वेतन" लागू करवाने का प्रस्ताव लिया गया। साथ ही बैठक में यूनियन के संगठनात्मक बिंदुओं, मजदूर एवं विस्थापितों के ज्वलंत समस्याओं तथा यूनियन के सदस्यता अभियान तथा संगठन के मजबूती पर गहन विचार करते हुए झारखंड के विभिन्न कंपनियों जैसे सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल, डीवीसी, बोकारो स्टील, टाटा स्टील, इलेक्ट्रोस्टील, एसईसी, टाटा मोटर्स तथा निजी प्रतिष्ठानों के साथ-साथ बंगाल राज्य के ईसीएल क्षेत्रों में संगठन विस्तार करने का निर्णय लिया गया।

बैठक में यह रहे मौजूद
बैठक में मुख्य रूप से केंद्रीय उपाध्यक्ष मथुरा प्रसाद महतो, विजय हांदसा, महासचिव फागु बेसरा, संगठन सचिव विनोद पांडे, शैलेंद्र कुमार मैथी, जय नारायण महतो, विजय रजवार, निशा हेमरोम, सपन बनर्जी, बोधन मांझी, लखी सोरेन, नकुल महतो, हराधन रजवार, अपूर्व सरकार, यूधेश्वर सिंह, रंथू उराव, सोनाराम मांझी, उमाशंकर चौहान, अर्चना गुप्ता, मुरारी ओझा, आरएन सिंह के साथ-साथ यूनियन के सभी केंद्रीय समिति सदस्य उपस्थित थे।

हमारे वाट्सअप ग्रुप से लिए इस लिंक पर क्लिक करें : https://chat.whatsapp.com/FUOBMq3TVcGIFiAqwM4C9N