रांची:
बीजेपी विधायक दल के नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की याचिका पर आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायाधीश जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रार्थी को सेप्लिमेंट्री एफिडेविट दायर करने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 सितंबर (बुधवार) की तारीख तय की है। गौरतलब है कि बाबूलाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय प्रताप सिंह, अभय मिश्रा, विनोद साहू, रणेंद्र आनंद और आकाशदीप ने पक्ष रखा।
स्पीकर कोर्ट पर लगाया पक्षपात का आरोप
बाबूलाल मरांडी द्वारा दाखिल रिट याचिका में कहा गया है कि दल-बदल मामले में झारखंड विधानसभा के स्पीकर के कोर्ट में नियमानुसार सुनवाई नहीं हुई है। न्यायाधिकरण ने उनकी गवाही और बहस सुने बिना ही केस को जजमेंट पर रख लिया। गौरतलब है कि बाबूलाल मरांडी से जुड़े मामले में विधानसभा न्यायाधिकऱण में 30 अगस्त को ही सुनवाई खत्म हो चुकी है। वहीं, बाबूलाल का पक्ष रख रहे अधिवक्ताओं ने कहा कि स्पीकर पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। न्यायधिकरण में सुनवाई समाप्त होने के पश्चात स्पीकर कभी भी अपना फैसला सुना सकते हैं।
झाविमो का भारतीय जनता पार्टी में विलय
गौरतलब है कि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में कर दिया। इसी मामले में स्पीकर दल-बदल कानून के तहत सुनवाई कर रहे हैं। इस मामले में पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव को लेकर भी सुनवाई चल रही है। उनकी विधायकी भी संकट में है।
प्रदेश के 8 विधायकों की विधायकी पर खतरा
गौरतलब है कि झारखंड में फिलहाल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी सहित कुल 8 विधायकों की विधायकी खतरे में है। इन दोनों के अलावा मंत्री मिथिलेश ठाकुर, दुमका विधायक बसंत सोरेन, कांके विधायक समरी लाल, कोलेबिरा विधायक नमन बिक्सल कोंगाड़ी, जामताड़ा विधायक डॉ. इरफान अंसारी और खिजरी विधायक राजेश कच्छप की विधायकी भी संकट में है। इन सभी के खिलाफ सुनवाई जारी है या फिर सुनवाई पूरी हो चुकी है।