रांचीः
राज्य भर के एएनएम और जीएनएम अपनी मांगों को लेकर राजभवन के पास धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं। करीब 13 की संख्या में राज्य में एएनएम जीएनएम कार्य कर रहे हैं। इन सब की सालों से बस एक ही मांग है कि उनको नियमित कर दिया जाए। इनके धरना पर बैठ जाने से विभिन्न जिलों के पीएचसी और सीएचसी में स्वास्थ्य कार्य बाधित हो गया है। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है तब तक वह इसी तरह से धरना देते रहेंगे। चाहे उसके लिए पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था ही क्यों ना चरमरा जाए। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही वीना देवी ने बताया है कि वे लोग पिछले 15 सालों से सेवा दे रही है। सुदूर क्षेत्रों में भी और जीएनएम के द्वारा स्वास्थ्य सेवा पहुंचाया जाता है। कोरोना जैसी महामारी में अपनी जान को खतरे में डालकर लोगों का टीकाकरण किया गया। उनकी सेवा की गई। लेकिन, उन्हें लेकर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। इस बार अनुबंध पर बहाल सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने यह ठान लिया है कि जब तक सरकार उनको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तब तक वह विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे। स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि 24 जनवरी से वह आमरण अनशन पर बैठेंगे और इसके लिए जिम्मेवार सरकार होगी।
काम बराबर है लेकिन वेतन में भेदभाव
इनका कहना है कि सरकारी कर्मचारियों का उनका काम काम बराबर है लेकिन दोनो को वेतन में जमीन आसमान का फर्क है। अनुबंध पर बहाल कर्मचारियों ने अपनी जान पर खेलकर स्वास्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। कोरोना काल में सरकार की योजनाओं को अंतिम लोगों तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया गया लेकिन उसके बावजूद सरकार अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों को लेकर गंभीर नहीं है। रांची के सिविल सर्जन ने बताया कि जितने भी अनुबंध पर बहाल कर्मचारी है उनके जाने से अस्पतालों में काम पर असर जरूर पड़ा है लेकिन फिलहाल उनकी जगह पर जितने भी आउटसोर्स पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है।