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चेंबर को मिला आश्वासन : सरकार मंडी टैक्स कलेक्शन सिस्टम को बनाएगी सरल

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द फॉलोअप डेस्क

बाजार शुल्क में 2 प्रतिशत टैक्स अधिरोपन को लेकर राज्य में भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है। ये बातें मंत्री बादल पत्रलेख ने शनिवार को फेडरेशन ऑफ झारखंड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमंडल की झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक- 2022 को लेकर बैठक में कही। उन्होंने कहा कि बाजार शुल्क में टैक्स अधिरोपण की अधिकतम सीमा 2 प्रतिशत निर्धारित है। खाद्यान्नों और वस्तुओं की हिसाब से टैक्स का निर्धारण किया जाना है। ऐसे में सभी खाद्यान्नों का बाजार शुल्क अलग-अलग होगा। दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर कृषि मंत्री बादल और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में सचिव विनय कुमार चौबे ने  फेडरेशन ऑफ झारखंड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमंडल के साथ विधेयक को लेकर बैठक की। बैठक में बाजार शुल्क से संबंधित विधेयक में 2 प्रतिशत टैक्स के अधिरोपण से संबंधित विषय पर चर्चा हुई। जिसमें कृषि मंत्री बादल और मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि बाजार शुल्क से संबंधित नियमावली तैयार करने के पहले किसानों व्यवसायियों और मंडियों से जुड़े प्रतिनिधियों की राय लेगी । उसके बाद बाजार शुल्क से संबंधित नियमावली को लागू किया जाएगा।  

 

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मंडी टैक्स कलेक्शन की प्रणाली होगी सरल

बैठक में सचिव ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि बाजार शुल्क कलेक्शन की प्रणाली को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के माध्यम से सरल बनाया जाएगा। मंडी टैक्स कलेक्शन सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी होगा। साथ ही कहा कि इसे लेकर कारोबारियों को कोई परेशानी नहीं होगी।

राइस मिल्स को बढ़ावा दे रही सरकार

कृषि मंत्री ने कहा कि मंडी शुल्क से राइस मिल्स और इससे जुड़े कारोबारियों पर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकार राइस मिल्स को लगातार बढ़ावा दे रही है। पिछले वर्ष राज्य में 19 राइस मिल्स खुले, जिसे सरकार के द्वारा जमीन उपलब्ध कराया गया आने वाले दिनों में नए राइस मिल्क खोलने की दिशा में भी सरकार लगातार कार्य कर रही है। कृषि मंत्री ने झारखंड चैंबर्स के प्रतिनिधिमंडल से कहा कि  ऐसे में इस संबंध में भी जो बातें सामने आ रही है, वह दिग्भ्रमित करने वाली है। सरकार हर कदम पर किसानों और कारोबारियों के हित में निर्णय ले रही  है, ताकि आम जनता को इसका फायदा मिल सके। बता दें कि झारखंड कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक के विरोध में पिछले व्यापारी का हड़ताल जारी है। जिसके वजह से सरकार को राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है।

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