द फॉलोअप टीम, रांचीः
रांची मे हर साल नाली में बह जाने से लोगों की मौत हो रही है। सरकारी तंत्रों की गलती का खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा हैं। बता दें कि पिछले 22 सालों में शहर के नालों को बनाने और ढकने के लिए 400 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिए गए हैं। लेकिन आजतक इन खुले नालें को ढकने का काम पूरा नहीं हुआ है। आलम यह है कि हर साल बारसात में यहां कोई ना कोई नाली में बह जा रहा है। रविवार की ही घटना को देख लीजिए राजधानी रांची के हातमा का एक युवक नाली में बह गया। सोमवार सुबह 18 घंटे बाद उसकी लाश मिली। शहर में 22 वर्षों में नगर निगम के अलावा पथ निर्माण विभाग, आरआरडीए, जिला परिषद व आरईओ ने नाले बनाए हैं। कई जगहों पर नाले ऐसे बेढंगे बनाए गए हैं कि जिसमें तेज बारिश होने पर पानी नाले में न बहकर रोड पर बहने लगता है। नालियों को सड़कों से ऊंचा बना दिया गया है। नालियों की दीवार में बारिश का तेज पानी बहने के लिए छेद नहीं छोड़ा गया है। जहां छेद छोड़ा भी गया है, वहां ऊंचाई इतनी है कि पानी उसमें जा ही नहीं पाता है।
दिन-प्रतिदिन खराब होती गई नालियां
दैनिक भास्कर में इस बाबत एक रिपोर्ट छपी है जिसके अनुसार अबतक शहर में 1500 किमी. नालियां बनी हैं। लेकिन नालियां कई जगह ऐसी बनीं, जो एक दूसरे से सही तरीके से कनेक्ट भी नहीं हैं। आज भी बड़े नाले खुले हैं दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे हैं। निकाय चुनाव 2008 के बाद बनने वाले नालों की स्थिति और खराब होती चली गई। पार्षदों ने अपने-अपने क्षेत्र में वोटरों को खुश करने के लिए नालियां तो बनाईं, लेकिन कहीं 100 मीटर तो कहीं 200 मीटर लंबी नालियां बनाकर खानापूर्ति कर दी। अब यही नालियां कई जगह खतरनाक बन गई हैं।
इन जगहों पर अभी भी खुला है नाला
डंगरा टोली में कंक्रीट से बना नाले के बगल में खुला नाला बना दिया गया है। यह इतना खतरनाक है कि जब तेज बारिश होती है और उसमें पानी लबालब भरा होता है, उस दौरान अगर कोई गिर जाता है तो उसका पता लगना भी मुश्किल है। लालपुर में धोबी घाट में खुला बड़ा नाला, हर दिन दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है। तेज बारिश में नाला और खतरनाक हो जाता है। नाले का पानी रोड के लेवल में आकर बहने लगता है। यहां नाले को ढंकने की जगह एक चेतावनी का बोर्ड लगा दिया है।
अब तक इन लोगों की नाले में बहने से हुई है मौत
इस साल 1 अक्टूबर रविवार को गोंदा थानाक्षेत्र के हातमा में एक लड़का नाले में बह गया। पिछले साल की घटना को याद करिए जिसमें पंडरा में एक 55 साल के एक बुजर्ग बह नाली में बह गये थे, जिसकी लाश तीन दिन बाद बरामद हुई थी। 2021 के सितंबर में भी कोकर के खोरहाटोली में एक युवक की बहने से मौत हो गई थी। उसका तो आज तक शव भी नहीं मिल पाया। वह हजारीबाग का रहने वाला था। तीन साल पहले हिंदपीढ़ी के नाला रोड में भी एक पलक नाम की बच्ची बह गई थी। सोचिए नगर निगम नालियों की सफाई कराने का दावा करता है। हर साल नालियों की सफाई पर निगम हर माह करीब 1.50 करोड़ रुपए खर्च करता है। इतना ही नहीं राजधानी में होनेवाले जल जमाव को रोकने के लिए रांची नगर निगम और पथ निर्माण विभाग की ओर से हर वर्ष करीब 140 करोड़ से अधिक रुपये खर्च किये जाते हैं। इसके बाद भी हर साल इसमें बह कर लोगों की मौत हो रही है।
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