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रांची : खतियानी झारखंडी पार्टी से अलग हुईं गीताश्री उरांव, बोलीं- आंदोलनकारियों के साथ बनी रहूंगी

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रांचीः
भाषा और खतियान आंदोलन के दौरान बनी "खतियानी झारखंडी पार्टी" में अब विवाद उत्पन्न हो गया है। अब पार्टी की प्रधान महासचिव गीताश्री उरांव ने खुद को  पार्टी से अलग कर लिया है। गीताश्री उरांव ने कहा कि झारखंड राज्य में खतियान आधारित, स्थानीय नीति, नियोजन नीति, भाषा नीति उधोग नीति और विस्थापित - पुनर्वास नीति को लेकर ' माटी के लिए पार्टी छोड़ ' जन आंदोलन में शामिल हुई। वरिष्ठ अनुभवी और नौजवानों के साथ निरंतर कदमताल शुरू हुआ। जन आंदोलन का स्वरूप आगे थर्ड फ्रंट होगा , यह जनमानस के बीच भी चर्चा में रहा।


मीटिंग स्थापना कार्यक्रम में बदल गयी थी 
सरहुल पर्व के ठीक बाद 'खतियानी झारखंडी पार्टी' के गठन की प्रस्तावना के निमित्त बुलाई मीटिंग में, सभी को सूचना के साथ निमंत्रण की बात कही गई। मगर मीटिंग पार्टी स्थापना समारोह में तब्दील हो गई और अध्यक्ष के रूप में अमित महतो और महासचिव के पद पर अप्रत्याशित रूप से मेरे नाम की घोषणा कर दी गई। नाराजगी जताने पर बाद में कार्यकारिणी के विस्तार में बाकियों के शामिल किए जाने की बात कही गई।


 मुझे भी दोषी ठहराया जा रहा 
उन्होंने कहा कि  इस प्रकरण की प्रतिक्रियाओं से यह बात स्पष्ट हो गया कि बहुतों को, विशेष रूप से वरिष्ठों को जानकारी नहीं होने के कारण नाराजगी जताई जाने लगी, जिसके लिए मुझे भी दोषी ठहराया जाने लगा। एक संवेदनशील, सामाजिक व्यक्ति होने के नाते, मेरे लिए काफी पीड़ादायक है। हां, कुछ लोगों ने मेरी छवि को देखते हुए नाराजगी के जगह हैरानी जरूर व्यक्त की  अतः, मैं इस बात को स्पष्ट करना चाहूंगी कि मैं पहले की तरह आंदोलन के साथियों के साथ बना रहना पसंद करूंगी।